MKSS Statement on Father Stan's Death (Hindi)
फादर स्टेन स्वामी की मौत से मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) बेहद आहत है। उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी झारखण्ड के आदिवासी और अन्य पिछडे समुदाय के सेवा में गुज़ारी। फादर स्टेन स्वामी ने वर्तमान भारतीय शासन व्यवस्था की जिन खामियों के खिलाफ, अपना जीवन संघर्ष करते हुए बिताया, उन्ही खामियों ने उनके जीवन का अंत कर दिया।
यह बात साफ़ लग रही है कि फादर स्टेन स्वामी पर लक्षित तरीके से गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप इसलिए लगाया ताकि उनको परेशान करके सताया जा सके। इसका मकसद यही था कि मानव-अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए यह एक उदाहरण बने। यह और भी अपमानजनक बात है कि एक अस्सी साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिक एवं पार्किंसंस रोग से ग्रसित व्यक्ति के साथ ऐसा अमानवीय सलूक किया गया। यह ना सिर्फ फादर स्टेन स्वामी के मामले पर बल्कि पूरे लोकतंत्र पर प्रभाव डालता है।
हाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध करने तीन व्यक्तियों को जमानत दी गयी. इन्हें भी UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था। उनको जमानत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि असंतोष को दबाने की चिंता में और इस डर से कि मामला हाथ से निकल सकता है, सरकार ने संवैधानिक रूप से मिले ‘विरोध का अधिकार’ और ‘आतंकवादी गतिविधि’ के बीच अंतर की रेखा को धुंधला कर दिया। ऐसा करने दिया जाता है तो इससे लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
पार्किंसंस से ग्रसित होने की वजह से फादर स्टेन खुद खाने-पीने में भी सक्षम नहीं थे। शासन ने फादर स्टेन को बुनियादी चिकित्सा आवश्यकताएं न देकर अमानवीय बर्ताव किया है। यहाँ तक कि उन्हें पानी पीने के लिए स्ट्रॉ भी उपलब्ध नहीं कराई गई। 8 अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार करने के बाद आरोप पत्र तैयार करना तो दूर, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने फादर स्टेन को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लेने की कोशिश नहीं की। ऐसे में फादर स्टेन को न्यायिक हिरासत में रहते हुए अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका भी नहीं मिला। UAPA के आरोप के वजह से उनको जमानत भी नहीं दी जा सकती थी। इस वजह से, फादर स्टेन जैसे बीमार व्यक्ति के लिए, यह प्रक्रिया व्यावहारिक रूप में बिना मुक़दमे के मौत की सज़ा थी।
जवाबदेही पर काम करने वाले संगठन होने के नाते MKSS की मांग है कि UAPA जैसे अमानवीय कानून पर समीक्षा की जाए। फादर स्टेन स्वामी के मामले को कई तरह के आलोचनात्मक पुनर्विचार की ज़रुरत है ताकि एक ऐसे व्यक्ति के जीवन को उचित शर्धांजलि मिले जिन्होंने गरीब और शोषित के लिए काम किया। असली लोकतंत्र में हमेशा ऐसी सतर्कता होनी चाहिए कि शासन व्यवस्था की ज्यादती और आपराधिक न्याय व्यवस्था (क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) जिनमें खुफिया विभाग भी शामिल हैं, की जवाबदेही तय हो। न्याय को बचाने के लिए संवैधनिक मूल्यों को ताक पर रखकर बनाये गए ऐसे सभी कानूनों को वापस लेना ज़रूरी है। फादर स्टेन आपराधिक न्याय व्यवस्था (क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) में सुधार चाहते थे. उनको याद रखने का सबसे उचित तरीका यही होगा कि इस व्यवस्था में सुधार कर उनके सपनों को साकार किया जाये।
MKSS Statement on Father Stan's Death (English)
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) is deeply distressed by the death of Fr. Stan Swamy, who spent his entire life in the service of Jharkhand’s adivasis and other marginalized communities in India. What adds to the tragedy is the irony that a person like Fr. Stan Swamy who strived to improve the plight of under-trials died as one. The state has failed Fr. Stan Swamy in the worst possible way.
It seems clear that Fr Stan Swamy was targeted and booked under the Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) to harass and persecute him. This was to make sure that it served as an example to all Human Rights workers and defenders, so that they could be booked under terrorism charges, with impunity. It makes it even more outrageous that an octogenarian suffering from Parkinson’s disease should be treated in this manner and subjected to inhuman conditions. This impacts not only the specific case of Fr Stan, but democracy itself.
It is pertinent to remember the observation of the Delhi High Court while granting bail recently to 3 CAA protestors booked under the UAPA: “We are constrained to express that it seems, that in its anxiety to suppress dissent, in the mind of the State, the line between the constitutionally guaranteed right to protest and terrorist activity seems to be getting somewhat blurred. If this mindset gains traction, it would be a sad day for democracy”.
The Authorities lost all human decency in denying Fr Stan access to basic medical necessities including sippers to drink liquids. Having arrested Fr. Stan Swamy on October 8th, 2020, the NIA did not even ask for custody for interrogation even once, let alone charge him. He was in judicial custody the entire time, without the trial even beginning. He therefore got no opportunity to prove his innocence. Being booked under UAPA he could not be given bail and as a result, for someone as ill as Fr. Stan Swamy, this process was practically a death sentence, without trial.
As an organisation that has worked to improve accountability of the state, the MKSS demands that these draconian laws be reviewed. Fr. Stan Swamy’s case needs many kinds of critical examination to bring closure to the life and work of a person who strived for the poor and marginalised all his life. In a real democracy there has to be constant vigilance to hold state excesses and the criminal justice system, including intelligence agencies, accountable. Unjust laws need to repealed to protect the rule of law itself. The best possible way to remember Fr. Stan Swamy, who sought criminal justice reform, is to make his dream a reality.
Dated 7th July, 2021
Press Release on International Women's Day Celebrations (Bhim, 8th March)
पाटिया के चौड़ा भीम में धूमधाम से मनाया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
8 मार्च, 2021, पाटिया का चौड़ा, भीम, राजसमन्द
जाति, धर्म, वर्ग और भाषा आदि को भूलकर सभी महिलाएं एकजुट हों – अरुणा रॉय
सभी महिलाएं जागरूक हों और अपने अधिकारों के लिए लड़ें – नोरती बाई
न्यूनतम मजदूरी के लिए आज भी लड़ रही हैं महिलाएं- सुशीलाबाई
महिला मेले में उठी न्यूनतम मजदूरी बढ़ाए जाने की मांग
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मजदूर किसान शक्ति संगठन, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन और लोकतंत्रशाला की ओर से महिला मेले का आयोजन किया गया जिसमें भीम, जवाजा, किशनगढ़, सिलोरा,बदनोर, करेडा, मसूदा, देवगढ़ आदि से महिलाओं ने भागीदारी की।
महिलाओं का लगा तांता
भीम में पहली बार आयोजित किए गए मेले में महिलाओं का तांता लग गया। महिलाएं सुबह 10 से आना शुरू हुई और 1 बजे तक आती रहीं। महिलाओं की बहुत बड़ी संख्या इस मेले में शिरकत करने आईं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास के साथ हुई शुरुआत
महिला मेले की शुरुआत प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं रेमन मैग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित अरुणा रॉय ने की। उन्होंने कहा कि आज से लगभग 100 वर्ष पहले महिलाओं ने पुरुषों के समान अधिकार और समान मजदूरी की मांग की थी जिसे लेकर बड़ा संघर्ष हुआ था उसी संघर्ष को याद करते हुए पूरी दुनिया में 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बहुत पहले शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी है और महिलाएं समानता की लड़ाई मजबूती से लड़ रही हैं। उन्होंने उपस्थित महिलाओं और युवतियों से आह्वान किया कि वे स्वयं घर से बदलाव की शुरुआत करें। इस मौके पर उन्होंने कहा कि महिलाएं चाहे किसी भी जाति, धर्म, वर्ग की हों या कोई भी भाषा बोलती हों उन सभी को एकजुट होना चाहिए क्योंकि महिलाओं को बांट दिया जाता है और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है।
महिला मेले में अपनी बात रखते हुए राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की अध्यक्षा नोरती बाई ने कहा कि सभी महिलाओं को अपने हक और अधिकारों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है एवं इसी के साथ संगठित होना बहुत जरूरी है। आप अपने -अपने इलाकों में सभी यूनियन से जरूर जुड़ें।
इस मौके पर अपनी बात रखते हुए प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं सूचना के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सुशीलबाई ने कहा कि आज से 30 साल पहले न्यूनतम मजदूरी के लिए शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी है।
मेले में उठी न्यूनतम मजदूरी बढ़ाए जाने की मांग
बड़ी संख्या में मौजूद महिला शक्ति में कहा कि सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की तनख्वाह बहुत अधिक बढ़ गई है एवं लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन मजदूरों की मजदूरी बहुत कम है इसलिए कम से कम 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी की जाए।
मेले में महिलाओं ने खेले विभिन्न प्रकार के खेल
मेले में आई बड़ी संख्या में महिलाओं ने खेल खेले जिनमें म्यूजिकल कुर्सी, तोता कहता है आदि खेले। महिलाओं ने इसे विभिन्न माध्यमों से इस महिला मेले को यादगार बनाया।
4 जिलों की बड़ी संख्या में महिलाएं हुई शामिल
राजसमंद जिले की भीम व देवगढ़ पंचायत समितियों, पाली जिले की रायपुर, अजमेर जिले की जवाजा, मसूदा, किशनगढ़, सिलोरा तथा भीलवाड़ा जिले की करेडा एवं बदनोर से यूनियन से जुड़ी महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं और महिला दिवस मनाए जाने के महत्व को भी समझा। सभा को सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे, शंकर सिंह, अनच्छी देवी, आदि ने भी संबोधित किया।
सस्ते भाव की लगी दुकानें
मेले में सस्ते भाव की जलेबी, पकौड़ी के साथ विभिन्न प्रकार के कपड़े और किताबों की दुकानें भी लगाई गई जहां पर बहुत सस्ते भाव में सामान संगठन और यूनियन की ओर से बेचा गया।सभा में लोकतंत्र शाला के संवैधानिक मूल्य फेलो भी उपस्थित रहे तथा राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के मेट, पंचायत कार्यकर्ता, पूर्णकालीन कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
सभा का सफल संचालन प्रियंका, कंचन, सुशीला, हेमलता ने किया।सुशीला, लक्ष्मीबाई, मीराबाई, रुकमनीबाई, प्रियंका, कंचन, सिमरन, हेमलता, माया, सपना, कृष्णा, संतोष, प्रेमी, सबा, उमा, संगठन, यूनियन एवं लोकतंत्र शाला के सभी साथी
Press Release on BOCW Social Audit and Public Hearing (Bhim, 4th March)
भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल पर हुई जन सुनवाई
4 मार्च, 2021, पाटिया का चौड़ा, भीम, राजसमन्द
श्रम विभाग के अधिकारी व कर्मचारी जानबूझकर करते हैं आवेदनों को निरस्त
श्रम विभाग के अधिकारियों ने शिकायतों का त्वरित निवारण करने का दिया आश्वासन
भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल (BOCW) के तहत निर्माण श्रमिकों के लिए संचालित होने वाली योजनाओं को लेकर आज मज़दूर किसान शक्ति संगठन, सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान व श्रम विभाग के संयुक्त तत्वाधान में भीम के पाटिया के चौड़ा में जनसुनवाई आयोजित की गई. कल्याण बोर्ड के तहत निर्माण श्रमिकों के कल्याणार्थ चल रही विभिन्न योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो तथा पात्र व वांछित श्रमिको को लाभ मिले इसी उद्देश्य को लेकर इसमें राजसमन्द, अजमेर, पाली और भीलवाडा जिले के निर्माण श्रमिको की समस्यों को सुना गया। इस जनसुनवाई में पाली, भीलवाडा और राजसमन्द जिलों से श्रम विभाग से अधिकारी, कर्मचारियों ने लाभार्थियों की समस्याओं को सुना |
जनसुनवाई में प्रदीप यादव (श्रम कल्याण अधिकारी राजसमन्द), भेरू सिंह (श्रम निरीक्षक, राजसमन्द), आसकरण मालवीय (श्रम कल्याण अधिकारी, पाली), श्रम निरीक्षक, भीलवाड़ा ने जनता की समस्याओं को सुना. पैनल में निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं सूचना एवम रोजगार अभियान), राखी बघवार (CFAR, अजमेर), अभय सिंह (GSVS), सरफराज शेख, (आदिवासी विकास मंच), राजेन्द्र शर्मा(आजिविका ब्यूरो), एकलिंग जी अरावली मजदूर सुरक्षा संघ पैनलिस्ट के तौर पर शामिल हुए।
जन सुनवाई में रखे गए आंकड़ों के अनुसार पूरे राजस्थान में 01 जनवरी से 31 दिसंबर 2020 के बीच BOCW के तहत संचालित विभिन्न योजनाओ में 458703 आवेदन प्राप्त हुए, उनमे से 113407 आवेदन स्वीकृत हुए, 78053 आवेदन अस्वीकृत हुए, 82802 आवेदन सिटीजन पेंडिंग है तथा 184441 विभाग के स्तर पर लंबित है |
साथ ही जन सुनवाई में ये भी सामने आया कि राजसमन्द, भीलवाडा, पाली, अजमेर जिलों में 49000 से ज्यादा योजनाओ के आवेदनों में से 9600 से ऊपर अर्जियां स्पस्टीकरण के लिए लंबित है और लगभग 5900 अर्जियां 1 साल से ऊपर लंबित है. साथ ही पंजीकृत श्रमिको में से 12800 से अधिक ऐसे है जिनमे या तो फ़ोन नंबर नहीं डाला गया है, या अगर डाला गया है तो 9999999999 नंबर डाला गया है |
जनसुनवाई के दौरान BOCW योजना के क्रियान्वन में जमीनी स्तर पर कई खामियां उजागर हुई.जो एस प्रकार है-
- यह पाया गया की BOCW के नियमों के अनुसार श्रमिक कार्ड बनाने के लिए पिछले एक साल में 90 दिन से अधिक दिन मजदूरी के होने चाहिए,परन्तु जब श्रमिक मनरेगा का प्रमाण लगाता है तो कहा जाता है की 90 दिन एक वित्तीय वर्ष में पूरे होने चाहिए. ये स्पष्ट नहीं होने के कारण संशय की स्थिति पैदा होती है|
- नियोजक प्रमाण पत्र में अधिकतर दिन मनरेगा में काम और कुछ दिन अन्य जगह ठेकेदारी के काम का प्रमाण पत्र दिया जाता है तो फॉर्म अस्वीकृत कर दिया जाता है.
- इसके साथ ही मनरेगा का प्रमाण लगाने पर सचिव का प्रमाणीकरण अनिवार्य न हो क्योकि मनरेगा की डिटेल्स जॉब कार्ड में ही मिल जाती है.
- मनरेगा का प्रमाण पत्र देने पर सचिव का आधार कार्ड, पता और मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य न हो, साथ ही सचिव और सरपंच की सील और हस्ताक्षर की भी जरुरत नहीं होनी चाहिए.मनरेगा में 90 दिन पूरे होने पर स्वतः ही पंजीकरण होना चाहिए.
- शुभ शक्ति में भौतिक सत्यापन के लिए श्रम विभाग में आवेदनकर्ता के उपस्थित होने के उपरांत भी आवेंदन की स्थिति नहीं बदलती और आवेदन लंबित रहता है, आवेदन की स्थिति में भौतिक सत्यापन के बाद बदलाव किया जाए.
- अभी आवेदन देने के बाद स्पष्टीकरण लोगो को फ़ोन पर मेसेज भेज कर माँगा जाता है बड़ी संख्या में लाभार्थियों के फ़ोन नंबर बदलने या गलत होने के कारण उन्हें सूचनाये समय पर नहीं मिल पाती.
- स्पस्टीकरण के लिए लोगो के पते पर चिट्ठी भेजनी चाहिए और श्रम कार्यालय में सप्ताह में दो नियत दिन अधिकारी स्पष्टीकरण निवारण के लिए बैठने चाहिए.स्पष्टीकरण के लिए लोगो को समय मिलना चाहिए, कई फॉर्म रिजेक्ट हुए क्योकि लाभार्थी समय पर उपस्थित नहीं हो पाए.
- कई लोगो को सत्यापन का सन्देश मिल जाता है लेकिन दिनांक नहीं मिलती है पूछताछ के लिए वे कार्यालय में चक्कर लगाते रहते है.
- कई लोगों के आवेदन बिना पर्याप्त कारणों के ही अस्वीकृत कर दिए गए है.
- फॉर्म रिजेक्ट होनी की स्थिति में पुनः अपील करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए, क्योकि जिला स्तर पर आवेदन रिजेक्ट होने पर संभागीय स्तर पर अपील की जाती है जिसमे लाभार्थी के लिए काफी मुश्किल होती है |
मज़दूर किसान शक्ति संगठन व सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान की ओर से शंकर सिंह, पारस बंजारा, सुशीला, मुकेश निर्वासित, बालुलाल, विनीत, मीराबाई, रुकमनीबाई, संगठन व अभियान के सभी साथी |
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे– पारस बंजारा- 7742846353, विनीत 8684014573, शंकर सिंह- 9414003247
Press Release on Anganwadi and MidDay Meal Scheme Social Audit and Public Hearing (Bhim, 11th February)
हामेला की बेर में आंगनवाडी और मिड डे मील सामाजिक अंकेक्षण की हुई जनसुनवाई
हामेला की बेर, भीम, राजसमन्द
आँगनवाड़ी वितरण रजिस्टर में लाभार्थियों के फर्जी साइन किन्तु नहीं मिला लाभ
आंगनवाड़ी और मिड डे मील में पारदर्शिता बहुत जरूरी
आँगनवाड़ी और मिड डे मील से जुड़े सामाजिक अंकेक्षण की जनसुनवाई आज हामेला की बेर पंचायत के जूनी कोगती स्कूल में हुई. इसमें ग्रामीण महिला, पुरुष और बच्चों ने भाग लिया. कोविड महामारी के बाद से आंगनवाडी की पोषाहार व्यवस्था और स्कूल में मध्यान भोजन(मिड डे मील) की व्यवस्था बंद है. इसकी जगह सरकार ने सूखा राशन बांटने का निर्णय लिया जिसे सभी लाभार्थियों ने सराहा और इसे जारी रखने की मांग की. इस महामारी के समय में यह व्यवस्था परिवारों के पोषण में काफी मददगार रही. इसके साथ-साथ जनसुनवाई में कुछ अनियमिताएं भी सामने आयीं.
सामाजिक अंकेक्षण की शुरुआत अंकेक्षणं टीम के सदस्य शंकर सिंह और विनीत ने सामाजिक अंकेक्षण के परिचय के साथ हुई।
सर्वप्रथम उच्च प्राथमिक प्राथमिक विद्यालय हमेला की बेर के अध्यापक रामधन गुर्जर में मिड डे मील ( मध्यान्ह भोजन) के स्थान पर बच्चो को वितरित किए जा रहे किट के बार में जानकारी दी। उसके बाद अंकेक्ष्ण टीम ने वहां उपस्थित सभी बच्चों और अभिभावकों से इस बारे में पूछा गया। मिड डे मील व्यवस्था में हाल ही में वितरित कॉम्बो पैक, जिसके तहत सीलबंद कट्टे में सामान स्कूल पहुंचा और वितरित हुआ, को लोगों ने सराहा. गेहूं और चावल वितरण के बारे में कुछ लाभार्थियों ने नाप-तोल की व्यवस्था पर अपना संशय जताया.
इसके बाद में आंगनवाड़ी के किट के बारे में आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक उषा शर्मा ने बताया और उसके बाद लोगों ने अपनी बात रखी।
लाभार्थी के फर्जी हस्ताक्षर किन्तु नहीं मिला लाभ
उपारला कुआं से आई कुलवंती देवी के कहा कि उनके 2 बच्चे हैं लेकिन आंगनवाड़ी में एक ही पंजीकृत हैं। एक बच्चे का 3 बार के किट में उन्हें केवल एक बार भी लाभ मिला और दो बार के उनके पति के फर्जी हस्ताक्षर करके राशन उठा हुआ बता दिया और उनको किट का राशन नहीं दिया।
जन सुनवाई में आई संतोष देवी ने कहा कि मेरे नाम पर राशन का किट उठाया गया है लेकिन मुझे तो राशन का किट नहीं मिला है और मेरे फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। इस पर विकास अधिकारी ने कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया।
इसी प्रकार डाली देवी ने जन सुनवाई में बताया कि उनके 3 साल की एक बेटी है जिसके पंजीकरण के लिए वह आंगनवाड़ी आई लेकिन उसका नाम नहीं लिखा गया तथा अभी वह गर्भवती है उसके बाद भी उसे किट नहीं मिल रहा है। इस पर पैनलिस्ट के द्वारा पूछा गया कि कार्यकर्ता के द्वारा अभी तक सर्वे क्यों नहीं किया गया है। इस पर विकास अधिकारी रमेश मीना ने भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से पूछा कि आपने पिछले 3 वर्ष में सर्वे क्यों नहीं किया तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा कि वह तो मैं नहीं कर पाई तो विकास अधिकारी महोदय ने तुरंत कहा कि मैं आपको नोटिस दूंगा आप उसका जवाब देना।
सामाजिक अंकेक्षन टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की
हामेला की बेर पंचायत के तहत तीन आंगनवाड़ी हैं जो हामेला की बेर, ओटा और सरवानिया में स्थित हैं. एक तरफ हामेला की बेर पंचायत में जनसंख्या 2300 से ऊपर है वहीँ दूसरी तरफ सरवानिया में लगभग यह संख्या 300 है. चूँकि हामेला की बेर का क्षेत्र बहुत बड़ा है, कई गाँव जैसे पदमेला और खजुरिया आंगनवाड़ी के लाभ से वंचित हैं. क्योंकि इनकी आंगनवाड़ी से दूरी बहुत अधिक है और दूसरी आंगनवाड़ियां यहां खोली नहीं जा रही हैं। ग्राम पंचायत प्रस्ताव लेकर नई आंगनवाड़ियाँ खोलने के लिए उच्च स्तर भेजे।
सामाजिक अंकेक्षण टीम ने अपनी जांच में पंचायत में स्थित तीनों आंगनवाड़ियों में पाया कि अंकेक्षण के लिए दिए गए रिकॉर्ड तथा वितरण रजिस्टर में फर्क था, स्टॉक और वितरण रजिस्टर में कुछ जगह मिलान नहीं था, कुछ लाभार्थी के नाम तो वितरण रजिस्टर में थे लेकिन कितना लाभ उन्हें दिया यह अंकित नहीं था, किसी उपलब्ध सामान की कोई इन्वेंटरी नहीं थी, ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के कुछ सदस्यों को पता ही नहीं कि वे उसके सदस्य हैं. पोषण वाटिका का पैसा भी नहीं आया। सामूहिक कार्यों जैसे गोद भराई के पैसों का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था।
इस मौके पर पैनलिस्ट के तौर पर शामिल हुई शकुंतला पामेचा ने कहा कि चाहे आंगनवाड़ी हो या मिड डे मील सभी में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। इसी से जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह ने कहा कि जो भी लाभ आंगवाड़ी में बच्चो को मिल रहा है उसका फ्लेक्स दीवार पर लगना चाहिए और बच्चो के नाम भी दीवार पर लिखे जाने चाहिए जिससे लोगों को जानकारी मिल सके।
इस अवसर पर उप जिला शिक्षा अधिकारी रिजवान जी, विकास अधिकारी एवं कार्यवाहक बाल विकास योजना अधिकारी रमेश मीणा, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कछावा जी, आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक, आंगनवाड़ी मानदेयकर्मी , सरपंच रमेश कुमार, विद्यालय के प्रधानाध्यापक व अध्यापक सामाजिक कार्यकर्ता शंकुंतला पामेचा, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव बालूलाल आदि भी मौजूद थे|
ज्ञात हो कि राज्य सरकार के आदेशानुसार, सूचना एवम रोजगार अभियान के सहयोग से समेकित बाल विकास सेवा योजनान्तर्गत आंगनवाडी केन्द्रों पर दी जा रही सुविधायों का सामाजिक अंकेक्षण राज्य के 12 जिलो में हो रहा है. राजसमन्द की भीम पंचायत समिति में नवगठित पंचायत हामेला की बेर में यह अंकेक्षण हुआ जिसके तहत आज की जनसुनवाई हुई. इसके लिए हर जिले की एक पंचायत में एक 6 सदसीय टीम का गठन किया गया था जिसमे 3 सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ वार्डपंच, ग्राम साथिन, एवम आशा सहयोगिनीं शामिल है|
शंकर सिंह, सुशीला, विनीत, प्रियंका, उमा, मीरा बाई, रुक्मणी बाई, दिनेश एवं संगठन के अन्य साथी
Press Release on Mahatma Gandhi Shahadat Diwas (30th January)
शहादत दिवस पर किया गांधीजी और शहीदों को याद
गांधीजी के विचार आज के समय में बहुत ज़रूरी: निखिल डे
सत्य और अहिंसा ही सही रास्ता: लाल सिंह
भीम, 30 जनवरी, 2021
मजदूर किसान शक्ति संगठन और लोकतंत्रशाला ने आज शहादत दिवस के अवसर पर गांधीजी को याद करते हुए भीम में एक रैली निकाल कर सभा की। इसमें गांधी जी जी की शिक्षाओं के पोस्टर भी शामिल थे। यह रैली गीत गाते हुए और नारे लगाते हुए सुजाजी के चौक पहुंची। यहां पर सभी को संबोधित करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के सह संस्थापक निखिल डे ने कहा कि जिन लोगों ने हमें आजादी दिलाने के लिए कुर्बानी दी आज उन्हें याद करने की जरूरत है। गांधी जी ने जो सत्य, अहिंसा, अमन और भाईचारा का रास्ता दिखाया उसपर चलने की आज बहुत जरूरत है। उनकी शिक्षा को हमें जीवन में उतारने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि गांधी जी ने कहा था ने कहा था कि ईश्वर का कोई धर्म नहीं होता लेकिन आज हमें धर्म के नाम पर बाँटा जाता है। इस अवसर पर उन्होंने किसान आंदोलन को याद करते हुए कहा कि गांधी जी ने भी किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने की बात की थी। आज इसी मांग को लेकर चल रहा किसान आंदोलन अभूतपूर्व है। किसान बहुत ही धैर्य और शांति के साथ बैठे हैं और उनकी मांग को सरकार को सुनना चाहिए। आज तक 200 से ऊपर किसान इस धरने में शहीद हो गए हैं उन्हें भी याद करने की ज़रूरत है।
सभा को संबोधित करते हुए लोकतंत्रशाला के लाल सिंह ने कहा गांधी जी ने प्रेम और सद्भावना के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने कहा था कि गलत बात को बार-बार कहने से वह सही नहीं हो जाती। जब उनकी हत्या हुई उस समय भी उनके मुंह से “हे राम” शब्द भी निकले ना कि मारने वाले के खिलाफ के खिलाफ वाले के खिलाफ कोई शब्द।
सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह ने ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी के दिये तिलिस्म अनुसार जब आप कोई भी कार्य करते हैं तो आप सबसे दीन हीन व्यक्ति के बारे में सोचें और देखें जो आप करने जा रहे हैं क्या उससे उसका कोई फायदा होगा। अगर ऐसा है तो ही वो कार्य करें। गांधीजी ने गांव-गांव के विकास पर ध्यान देने की बात की थी। गांधी जी के विचारों को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीतियां बननी चाहिए जिससे यह आर्थिक असमानता कम हो। आज अमीर अमीर होता जा रहा है और गरीब और गरीब। कोरोना के समय में 100 पूंजीपतियों के पास इतनी दौलत आई जिससे 10 साल नरेगा चल सकता है।हो कम हो हो समानता कम हो हो कम हो हो और सबसे आखिर में जो रहती है किसको लाभ मिल सके सके मिल सके सके इस अवसर पर गांधी जी की प्रार्थना के साथ साथ कई नारे भी लगाए गए जैसे प्रेम से कहो हम इंसान हैं और हिंदूमुस्लिमबौद्-बौद्ध-जैन-सिख-ईसाई, आपस में है बहन-भाई।सभा की समाप्ति 2 मिनट के मौन के साथ संपन्न हुई।
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Patan, 19th January 2021)
कृषि कानूनों के दुष्प्रभावों को गांव-गांव में समझना होगा- अरुणा रॉय
कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा लाऐ काले कानून से होगा मजदूर, किसान और छोटे व्यापारियों का नुकसान- निखिल डे
सरकार बनी है कंपनियों की कठपुतली- शंकर सिंह
किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा ने की पाटन, तिलोनिया और हरमाडा में सभाएं,यात्रा का हुआ स्वागत
पाटन, 19 जनवरी 2021
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में चल रही ट्रैक्टर यात्रा में किसान पपेट और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कृषि कानूनों की सच्चाई किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। यह यात्रा भीम, राजसमंद से 9 जनवरी को रवाना हुई थी तथा जगह-जगह मीटिंग करते हुए 15 जनवरी को शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुंची थी। इस यात्रा ने लौटते हुए अजमेर जिले के सिलोरा ब्लॉक में पाटन, तिलोनिया और हरमाडा में जन-संपर्क व सभाएं कीं l
आज सबसे पहले यात्रा पाटन पहुंची जहां अपनी बात रखते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापक सदस्य अरुणा रॉय ने कहा कि हमें इन काले कानूनों को समझकर इसके बारे में सभी को जागरूक करने की ज़रूरत है। इन कानूनों से जमाखोरी बढ़ेगी। बड़ी कंपनियां सस्ते दाम पर किसानों से फसल खरीदेगी और महंगे दामों में बेचेंगी। इससे महंगाई बढ़ेगी और गरीब जनता पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मजदूरों और किसानों के मुद्दे एक ही हैं। जैसे हमने सूचना के अधिकार और नरेगा को लेकर आंदोलन कर लड़ाई जीती इसी प्रकार अपने हक़ों को बचाने के लिए हमें एक साथ आना होगा। अगर बड़ी- बड़ी कंपनी कृषि में आयेंगी तो इसका प्रभाव हमारी राशन व्यवस्था पर भी पड़ेगा। सरकारी मंडी में आवक नहीं होगी तो सरकारी गोदाम खाली हो जायेंगे जिससे हो सकता है सरकार राशन में अनाज देने की बजाय खाते में पैसे देना शुरू कर दे। लेकिन महंगाई बढ़ने के कारण उस दाम में अनाज नहीं मिलेगा। इन काले कानूनों के अनुसार सरकारी मंडी के बाहर कोई भी किसान से फसल खरीद सकता है और भुगतान में विवाद होने पर किसान कोर्ट भी नहीं जा सकते। इस अवसर पर पाटन की सरपंच मनजीत कंवर और मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक निखिल डे भी मौजूद थे।
तिलोनिया गांव में भी हुई सभा
इसके बाद यात्रा तिलोनिया पहुंची जहाँ बड़ी संख्या में लोगों ने यात्रा को समर्थन दिया। सभा को संबोधित करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने कहा केंद्र सरकार इन कानूनों के अध्यादेश एक ऐसे समय पर लायी जब जनता लॉकडाउन के प्रभावों से जूझ रही थी। अध्याधेश की ज़रूरत तब होती है जब कोई आपात स्थिति हो और संसद सत्र न बुलाया जा सके। इसके बाद भी नियमों को ताक पर रखते हुए इसे बिना चर्चा के संसद में पास कर दिया गया। वैसे तो इसका प्रभाव हर नागरिक पर पड़ेगा लेकिन इसका सीधा-सीधा असर मजदूर, किसान और छोटे व्यापारियों को होगा। उन्होंने इस अवसर पर अपील की कि हमें इन कानूनों को वापिस लेने का आग्रह केंद्र सरकार से करते हुए 26 जनवरी को अपनी-अपनी ग्राम सभाओं इन कानूनों को वापस लिए जाने हेतु प्रस्ताव लेने चाहिए। इस अवसर तिलोनिया के सरपंच नंदलाल भादु ने भी सभा को सम्बोधित करते हुए यात्रा का समर्थन करते हुए कहा कि इन काले कानूनों को समझने की ज़रूरत है और किसानों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इसके बाद यात्रा हरमाडा पहुंची जहाँ शंकर सिंह ने
कहा कि आज हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। आज सरकार बड़ी कंपनियों की कठपुतली बन चुकी है। सरकारें कंपनियों के कहने से इसलिए कानून बनाती हैं क्योंकि ये कंपनियां ही राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में चुनाव में अनाप शनाप खर्चा करने के लिए पैसा देती है। किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना पैसा दिया यह भी जनता को नहीं बताया जाता। जो गुप्त-दान लेगा वो गुप्त काम भी करेगा। कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले समान पर तो अधिकतम खुदरा मूल्य है लेकिन बहुत दुर्भाग्य की बात है कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केवल कंपनियों के लिए फायदे का सौदा है और किसान के साथ लूट है। क्योंकि जितना प्रीमियम किसान और सरकार मिलकर जमा करते हैं उससे बहुत कम क्लेम मिलता है। सभा में उपस्थित सभी किसानों से पूछा गया क्या किसी को कभी भी फसल बीमा का क्लेम मिला है तो सभी मना किया। एक तरफ सरकार बड़े-बड़े अमीरों के कर्ज़े माफ करती है और दूसरी तरफ किसान के छोटे कर्ज़े में भी कुड़की हो जाती है। आज अमीर और गरीब के बीच अंतर बहुत बढ़ता जा रहा है।
इसके बाद यात्रा अजमेर के लिए रवाना हो गई।
सरल भाषा में बांटे पर्चे
पाटन, तिलोनिया और हरमाड़ा में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा किसानों के समर्थन में यह किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा 9 जनवरी को शुरू की जो जगह जगह संवाद और मीटिंग करते हुए 15 जनवरी को शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची थी।
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Shahjahanpur Border, 15th January 2021)
किसान समर्थन ट्रैक्टर यात्रा सातवें दिन पहुंची शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुंची।
किसान लड़ रहा है जीवन के लिए, कंपनियां हैं कमाई के लिए- शंकर सिंह
जमाखोरी का असर देश के हर नागरिक पर होगा- मुकेश गोस्वामी
काले कानूनों से देश फिर से होगा कंपनियों का गुलाम – बालूलाल
किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा ने की शुक्लावास, नारहेडा, कोठपुतली एवं बहरोड़ में सभाएं
कोटपुतली, शाहजहाँपुर बॉर्डर, 15 जनवरी 2021
किसान आंदोलन के समर्थन में राजसमंद जिले के भीम से 9 जनवरी को दिल्ली के लिए चल रही ट्रैक्टर यात्रा आज सातवें दिन शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुंची। इससे पहले यात्रा ने रास्ते में रुककर जगह-जगह जन- संवाद किया। किसान पपेट और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी कृषि कानूनों के बारे में बातचीत की।
शुकलावास में हुआ यात्रा का स्वागत, चौपाल में उमड़ी भीड़
आज सबसे पहले यात्रा ने शुक्लावास में जन-संवाद किया। यहाँ ग्रामवासियों ने गर्मजोशी से यात्रा का स्वागत किया। मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक शंकर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि किसान के बिना जीवन मुमकीन नहीं है। आप बाकी किसी चीज के बिना रह सकते हो लेकिन अन्न के बिना नहीं। इसलिए यह लड़ाई हमारे जीवन की लड़ाई है। यह लड़ाई सिर्फ किसान की नहीं बल्कि हम सबकी है। किसान तो जीवन के लिए लड़ रहा है और दूसरी तरफ कंपनी तो कमाई और मुनाफ़े के लिए ही काम करती हैं। इसलिए इन काले कानूनों को वापिस लेना ही पड़ेगा।
नारहेडा में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सह सचिव मुकेश गोस्वामी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इन काले कानूनों से पहले दाल, अनाज, तिलहन और सब्जीयों की जमाखोरी किसान या सरकार कर सकते थे लेकिन अब निजी कंपनियां अपने पास असीमित सब्जी, अनाज, दाल और तिलहन रख सकेंगे। जमाखोरी पर छूट देने से बड़ी कंपनियों को फायदा होगा। वे सस्ते में किसानों से खरीदेंगे और फिर महंगे में बाजार में बेचेंगे। इसका असर हर नागरिक पर होने वाला है। किसानों से तो यह कंपनियां बोरी में फसल खरीदेंगी लेकिन उसको पैकेट में बेचेंगी। इस पैकेट पर तो जो रेट लिखा है उससे कम में नहीं मिलता लेकिन दूसरी तरफ़ किसान के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। अन्नदाता सस्ते में फसल बेचने को मजबूर होगा इसलिए एम एस पी की गारंटी का कानून तुरंत बनाया जाना चाहिए।
कोटपुतली में आयोजित नुक्कड़ नाटक सभा में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव और मजदूर किसान शक्ति संगठन के कार्यकर्ता बालू लाल ने कहा कि जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश को गुलाम बनाया था बिलकूल उसी प्रकार इन काले कानूनों से देश इन बड़ी कंपनियों का गुलाम हो जायेगा। जैसे छोटी मछली बड़ी मछली को खाती है उसी प्रकार बड़ी-बड़ी कंपनी छोटे-बड़े व्यापारियों को खत्म कर देंगी। सभा को संबोधित करते हुए विनीत भांभू ने कहा कि केंद्र सरकार कंपनियों की कठपुतली बन चुकी है क्योंकि इलकटौरल बॉन्ड से गुप्त दान पार्टियों को मिलता है इसलिए वे काम भी उन्ही के लिए कर रही है। यह काले कानून इन्ही कंपनियों को सीधे-सीधे फायदा पहुंचाने के लिए ही बनाए हैं। इन कानूनों से किसान, छोटे व्यापारी और मजदूर सभी की दशा बिगड़ेगी। एक बार फिर देश अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए इन कंपनियों पर गुलाम हो जाएगा।
इन सभाओं में सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शुक्लावस ने भी भागीदारी करते हुए जनता से अपील की कि 18 जनवरी को होने वाले महिला किसान दिवस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। यह क्षेत्र शुरू से ही धरने में सहयोग देता रहा है और आगे भी करता रहेगा।
किसान कठपुतली ने किया लोगों को आकर्षित
किसान कठपुतली लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है। लोग इसे देखने के लिए उमड़ रहे हैं और बात भी सुन रहे हैं।
सरल भाषा में बांटे पर्चे
शुक्लावास, नारहेडा, कोटपुतली और बहरोड़ में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा किसानों के समर्थन में यह किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा 9 जनवरी को भीम से रवाना हुई थी और रास्ते में जगह-जगह जन संवाद करते हुए आज सातवें दिन शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुंची है।
शंकर सिंह, बालू लाल, रामलाल, नोरतमल, कानी बाई,रामगोपाल बैरवा, मुकेश कुमार, नचिकेत, मीरा बाई, कमलराज, प्रेमी बाई, विनीत, गजेन्द्र, पुष्पेन्द्र, श्रीराम, ईश्वर तारु सिंह, प्रवीण,गोपजी अमरसिंह एवं सभी साथी
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Shahpura Border, 14th January 2021)
केंद्र सरकार बन चुकी है कंपनियों की कठपुतली- शंकर सिंह
एमएसपी की गारंटी किसान का हक है- मुकेश गोस्वामी
बड़ी कंपनियां आयेंगी तो खेती को खा जायेगी- बालूलाल
किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा ने की अचरोल, चंदवाजी, शाहपुरा, पावटा एवं टस्कोला में सभाएं
शाहपुरा, पावटा 14 जनवरी 2021
किसान आंदोलन के समर्थन में राजसमंद जिले के भीम से दिल्ली के लिए चल रही ट्रैक्टर यात्रा ने रास्ते में रुककर जगह-जगह जन- संवाद किया। किसान पपेट ने लोगों को काफी आकर्षित किया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी कृषि कानूनों के बारे में बातचीत हुई। आज सबसे पहले यात्रा अचरोल पहुंची जहां पर मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक शंकर सिंह ने कहा कि सरकार कंपनियों की कठपुतली बन चुकी है और यह काले कानून कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही बनाए हैं। इन कानूनों से किसान, छोटे व्यापारी और मजदूर सभी की दशा बिगड़ेगी। जब कोई कंपनी व्यापार में आती है तो वह जन कल्याण के लिए नहीं मुनाफा कमाने के लिए आती है। एक बार फिर देश अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए इन कंपनियों पर गुलाम हो जाएगा।
चंदवाजी नुक्कड़ सभा में उमड़ी भारी भीड़
चंदवाजी में हुए जन-संवाद में भारी भीड़ उमड़ी और सभी ने सरकारी मंडी सही चलाने और एम एस पी की मांग का स्थानीय किसानों ने भी समर्थन किया। सभा को संबोधित करते हुए राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सह-सचिव मुकेश गोस्वामी ने कहा कि कंपनियां फसल को सस्ते दाम में खरीद कर जमाखोरी करेंगे जिससे महंगाई बढ़ेगी। किसान को अपनी लागत का उचित दाम आज भी नहीं मिल रहा है इसलिए एमएसपी का कानून किसानों का हक है और जरूर बनाया जाना चाहिए। वहां पर उपस्थित कई किसानों ने बताया कि एम एस पी के विस्तार की भी ज़रूरत है। कई बार हमें हमारी फसल बहुत सस्ते भाव में बेचनी पड़ती है। सभी ने एक स्वर में इस मांग का समर्थन किया।
शाहपुरा में आयोजित नुक्कड़ नाटक सभा में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव और मजदूर किसान शक्ति संगठन के कार्यकर्ता बालू लाल ने कहा कि हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। दाल, अनाज, तिलहन और सब्जीयों की जमाखोरी नहीं की जा सकती थी ये सभी चीजें या तो किसान रख सकते हैं या सरकार रख सकती थी लेकिन अब निजी कंपनियां अपने पास असीमित सब्जी, अनाज, दाल और तिलहन रख सकेंगे। वे खरीदकर जमाखोरी करेंगे और बहुत महंगे भाव में बेचेंगे।बड़ी कंपनियां आयेंगी तो खेती को खा जायेगी। ये तीन काले कानून किसान, मजदूर और छोटे व्यापारियों पर घातक रूप से असर करेंगे और कंपनी राज आ जाएगा। इसलिए छोटे व्यापारियों और ठेले वाले को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
प्रसिद्ध कठपुतली कलाकार रामलाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल किसान की नहीं बल्कि हम सब की है।
टास्कोला में यात्रा का स्वागत किया गया और यहां पर हुई सभा में सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शुक्लावस ने कहा कि जब भी निजीकरण किया जाता है जाता है तो सरकारी व्यवस्था खराब हो जाती है जैसे प्राइवेट स्कूल आए सरकारी की दशा खराब हो गई ऐसे ही प्राइवेट अस्पताल आए तो सरकारी अस्पताल की स्थिति बिगड़ गई और अब ये प्राइवेट कंपनी खेती में आ रही है तो खेती की दशा खराब हो जाएगी इसलिए हम सभी को इन कानूनों का विरोध करना है। यहां पर पूर्व सरपंच देवकरण सैनी ने यात्रियों का जागरूकता के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
किसान कठपुतली कर रही है लोगों को आकर्षित
किसान कठपुतली लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है। लोग इसे देखने के लिए उमड़ रहे हैं और बात भी सुन रहे हैं।
सरल भाषा में बांटे पर्चे
अचरोल, चंदवाजी, शाहपुरा और पावटा, टस्कोला में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
शुक्लावास के लिए निकली यात्रा
अब यात्रा शुक्लावास के लिए निकली है। वहां मजदूरों और किसानों के साथ संवाद करेगी और शुक्लावास में यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
कल यात्रा पहुंचेगी शाहजहांपुर बॉर्डर
कल दिनांक 15 जनवरी 2021 को किसान समर्थन यात्रा रास्ते में विभिन्न गांवों और कस्बों में संवाद करते हुए शाहजहाँपुर बॉर्डर पहुंचेगी।
उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा किसानों के समर्थन में यह किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा 9 जनवरी को भीम से रवाना हुई थी।
शंकर सिंह, बालू लाल, रामलाल, नोरतमल, कानी बाई,रामगोपाल बैरवा, मुकेश कुमार, नचिकेत, मीरा बाई, कमलराज, प्रेमी बाई, विनीत, गजेन्द्र, पुष्पेन्द्र, श्रीराम, ईश्वर तारु सिंह, प्रवीण,गोपजी अमरसिंह एवं सभी साथी
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Jaipur; 13th January 2021)
किसान बचेगा तो ही देश बचेगा- शंकर सिंह
ये काले कानून मजदूर, किसान और छोटे व्यापारियों पर घातक असर करेंगे- नचिकेत उडूपा
किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा ने की मुहाना मंडी, लालकोठी फल व सब्जी मंडी एवं अल्बर्ट हॉल पर सभाएं
कृषि कानूनों की सच्चाई किसान, मजदूर और छोटे व्यापारियों को समझ आने लगी है।
किसान समर्थन ट्रैक्टर यात्रा का हुए मुहाना और लालकोठी सब्जी मंडी में हुआ जोरदार स्वागत।
जयपुर 13 जनवरी 2021
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में चल रही ट्रैक्टर यात्रा में किसान पपेट और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कृषि कानूनों की सच्चाई आमजन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। सीधे तौर पर प्रभावित किसान, मजदूर और छोटे व्यापारी कृषि कानूनों की वास्तविकता को समझ रहे हैं। आज सबसे पहले यात्रा मुहाना मंडी में पहुंची जहां पर बड़ी संख्या में किसान, छोटे व्यापारी और मजदूर मौजूद थे। यहां मंडी कमेटी की ओर से सभी यात्रियों का माला पहनाकर स्वागत किया गया। मुहाना मंडी में अपनी बात रखते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक शंकर सिंह ने कहा कि किसान बचेगा तो ही देश बचेगा नहीं तो देश की स्थिति बहुत खराब होने वाली है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों के आने से मंहगाई बढ़ रही है और भी बढ़ेगी। यहां पर उपस्थित किसानों ने कहा कि जैसे हमारी फसल की बोली लगाई जाती है वैसे ही कंपनियों के सामानों की बोली लगाई जानी चाहिए। वहां पर स्थित कई किसानों ने बताया कि कई बार हमें हमारी फसल बहुत सस्ते भाव में बेचनी पड़ती है। छोटे व्यापारी और मजदूरों ने किसानों की मांगों का समर्थन किया। यहां पर कमेटी के अध्यक्ष व सचिव एच एम खान ने सभी यात्रियों का स्वागत किया और किसानों का साथ देने का वादा किया। सभी किसानों, मजदूरों और मजदूरों ने एक स्वर में कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी का कानून किसानों की बहुत जायज मांग है जिसे सरकार को हर हालत में मानना चाहिए।
लालकोठी फल सब्जी मंडी एवं अल्बर्ट हॉल पर हुई नुक्कड़ सभाएं
मुहाना मंडी के बाद के बाद लालकोठी फल सब्जी मंडी पर सभा हुई जहां पर राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के मुकेश गोस्वामी ने कहा कि आज हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। दाल, अनाज, तिलहन और सब्जीयों की जमाखोरी नहीं की जा सकती थी ये सभी चीजें या तो किसान रख सकते हैं या सरकार रख सकती थी लेकिन अब निजी कंपनियां अपने पास असीमित सब्जी, अनाज, दाल और तिलहन रख सकेंगे। वे खरीदकर जमाखोरी करेंगे और बहुत महंगे भाव में बेचेंगे। अब किसान का माल सस्ते भाव में बिकेगा और वापस बड़े व्यापारियों से बहुत महंगे भाव में खरीदना पड़ेगा। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता है। यहां पर मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े नचिकेत उड़ूपा ने कहा कि ये 3 काले कानून किसान, मजदूर और छोटे व्यापारियों पर घातक रूप से असर करेंगे और कंपनी राज आ जाएगा। इसलिए छोटे व्यापारियों और ठेले वाले को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। यहां पर जनवादी महिला समिति से जुड़ी सुमित्रा चौपड़ा ने कहा कि यह लड़ाई केवल किसान की नहीं है यह उन सभी की लड़ाई है जो अन्न खाते है। यहां मंडी के महासचिव का.भोजराज ने यात्रियों का स्वागत किया और किसानों की लड़ाई में साथ देने का आह्वान सभी से किया। अल्बर्ट हॉल पर फसल बीमा के बारे में बोलते हुए कमलराज ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केवल कंपनियों के लिए फायदे का सौदा है और किसान के साथ लूट है। क्योंकि जितना प्रीमियम किसान और सरकार मिलकर जमा करते हैं उससे बहुत कम क्लेम मिलता है। सभा में उपस्थित सभी किसानों से पूछा गया क्या किसी को कभी भी फसल बीमा का क्लेम मिला है तो सभी मना किया। राजसमंद के भीम से लेकर जितने भी गांव रास्ते में आए और जिनमें मीटिंग की गई उन सभी में किसानों ने कहा कि आजतक एक रुपया भी फसल बीमा का क्लेम नहीं मिला। विनीत भांभू ने कहा कि सरकारें कंपनियों के कहने से इसलिए कानून बनाती हैं क्योंकि ये कंपनियां ही राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में चुनाव में अनाप शनाप खर्चा करने के लिए पैसा देती है।
यहां पर प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं कलाकार रामलाल भट्ट ने कहा कि मजदूरों को भी यह बात समझनी चाहिए क्योंकि बड़ी कंपनियां आएंगी तो सामान मॉल में बिकेगा और बहुत मेंहगा खरीदना पड़ेगा । यहां पर सभा को संबोधित करते हुए राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा श्रीमती लाड़ कुमारी जैन ने कहा कि यह कंपनी राज की शुरुआत है, हमारा किसानों के इस आंदोलन को पूरा समर्थन है और यात्रा के सभी साथियों का स्वागत भी करती हूं।
समग्र सेवा संघ से जुड़े और गांधीवादी सवाई सिंह ने कहा कि इस आंदोलन का पूरा समर्थन हम करते हैं और इस लड़ाई में साथ हैं। कार्यक्रम को मुस्लिम।महिला आंदोलन से जुड़ी निशात हुसैन, पीपुल्स साइंस मूवमेंट और पीयूसीएल से जुड़ी कोमल श्रीवास्तव, जमाते इस्लामी हिन्द के राज्य अध्यक्ष मो. नजीमुद्दीन, महिला पुनर्वास समूह से पुष्पा सैनी, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के ईश्वर सिंह व राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा के नौरतमल, कानी बाई, रामगोपाल बैरवा, ने भी संबोधित किया। ने भी सभा को संबोधित किया।
किसान कठपुतली कर रही है लोगों को आकर्षित
किसान कठपुतली लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है। लोग इसे देखने के लिए उमड़ रहे हैं और बात भी सुन रहे हैं।
सरल भाषा में बांटे पर्चे
मुहाना मंडी, लालकोठी फल सब्जी मंडी और अल्बर्ट हॉल पर वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
कूकस के लिए निकली यात्रा
अब यात्रा बगरू के लिए निकली है जो वहां मजदूरों और किसानों के साथ संवाद करेगी और कूकस के आसपास कहीं पर यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
कल यात्रा कूकस से कोटपुतली तक विभिन्न गांवों और कस्बों में करेगी संवाद
कल दिनांक 14 जनवरी 2021 को किसान समर्थन यात्रा कूकस से कोटपुतली तक विभिन्न गांवों और कस्बों में संवाद करेगी यात्रा।
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Ajmer; 12th January 2021)
सरकार अमीरों को छूट दे रही है और गरीबों से लूट कर रही है- शंकर सिंह
किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा ने की नरेना, दूदू, गिदानी एवं मौखम पुरा में सभाएं
किसान पपेट और नुक्कड़ नाटक कर रहा है लोगों को आकर्षित
कृषि कानूनों की सच्चाई समझ रहे हैं किसान, किसान यात्रा का हो रहा है जगह जगह स्वागत
अजमेर 12 जनवरी 2021
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में चल रही ट्रैक्टर यात्रा में किसान पपेट और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कृषि कानूनों की सच्चाई किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। किसान जब कृषि कानूनों की वास्तविकता को समझ रहे हैं और यात्रा का जगह जगह स्वागत कर रहे हैं। आज सबसे पहले नरेना में पहुंची जहां पर बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे जहां अपनी बात रखते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक शंकर सिंह ने कहा कि भारत सरकार अमीरों को लाखों करोड़ रुपए की छूट देती है और गरीबों से लूट कर रही है क्योंकि निजी कंपनियों के आने से मंहगाई बढ़ रही है और भी बढ़ेगी। राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव बालू लाल ने कहा कि आज हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनी वाले जितना चाहो उतनी जमाखोरी कर सकते हैं । अब किसान का माल सस्ते भाव बिकेगा और वापस बड़े व्यापारियों से बहुत महंगे भाव में खरीदना पड़ेगा। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता है। यहां पर उपस्थित किसानों इन कहा कि जैसे हमारी सभी की बोली लगाई जाती है वैसे ही कंपनियों के सामानों की बोली लगाई जानी चाहिए। वहां पर स्थित कई किसानों ने बताया कि कई बार हमें हमारी फसल बहुत सस्ते भाव में बेचनी पड़ती है। सभी किसानों ने एक स्वर में कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी का कानून किसानों की बहुत जायज मांग है जिसे सरकार को हर हालत में मानना चाहिए।
दूदू, गिदानी और मौखमपूरा में हुई नुक्कड़ सभाएं
नरेना के बाद दूदू, गिदानी और मौखम पुरा में सभाएं हुई जहां पर यहां पर फसल बीमा के बारे में बोलते हुए विनीत भांभू ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केवल कंपनियों के लिए फायदे का सौदा है और किसान के साथ लूट है। क्योंकि जितना प्रीमियम किसान और सरकार मिलकर जमा करते हैं उससे बहुत कम क्लेम मिलता है। सभा में उपस्थित सभी किसानों से पूछा गया क्या किसी को कभी भी फसल बीमा का क्लेम मिला है तो सभी मना किया। राजसमंद के भीम से लेकर जितने भी गांव रास्ते में आए और जिनमें मीटिंग की गई उन सभी में किसानों ने कहा कि आजतक एक रुपया भी फसल बीमा का क्लेम नहीं मिला। मुकेश गोस्वामी ने कहा कि सरकारें कंपनियों के कहने से इसलिए कानून बनाती हैं क्योंकि ये कंपनियां ही राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में चुनाव में अनाप शनाप खर्चा करने के लिए पैसा देती है।
दूदू में हुई नुक्कड़ में सभा में प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं कलाकार रामलाल भट्ट ने कहा कि यह किसानों का साथ देने का समय है यह मौका है जब किसानों को एक होकर एमएसपी का कानून बनाए जाने की मांग का भरपूर समर्थन करना चाहिए।
किसान कठपुतली कर रही है लोगों को आकर्षित
किसान कठपुतली गांव गांव में लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है। लोग इसे देखने के लिए उमड़ रहे हैं और बात भी सुन रहे हैं। यात्रा का किसानों द्वारा जगह जगह पर स्वागत किया जा रहा है जिससे यात्रियों का हौसला बहुत बढ़ रहा है। सभा के दौरान कौन बनाता हिन्दुस्तान देश का मजदूर किसान जैसे नारे गूंजे। यहां पर सभा ठेका खेती के कानून और एपीएमसी कानून के बारे में विस्तार से बताया गया। सभा को राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के कमल राज एवं ईश्वर सिंह ने व राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा के नौरतमल, कानी बाई, रामगोपाल बैरवा, ने भी संबोधित किया।
सरल भाषा में बांटे पर्चे
सोलावता, नरेना, दूदू, गिदानी और मौखमपुरा में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
बगरू के लिए निकली यात्रा
अब यात्रा बगरू के लिए निकली है जो वहां मजदूरों और किसानों के साथ संवाद करेगी और बगरू के आसपास कहीं पर यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
कल यात्रा बगरू मंडी, मुहाना मंडी व जयपुर शहर में करेगी संवाद
कल दिनांक 13 जनवरी 2021 को किसान समर्थन यात्रा बगरू मंडी, मुहाना मंडी व जयपुर शहर में संवाद करेगी यात्रा।
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Ajmer; 11th January 2021)
प्रधानमंत्री फसल बीमा निकाल रहा है किसानों का कीमा- शंकर सिंह
किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा ने की कुचील, सलेमाबाद, रूपनगढ़ एवं ममाणा में सभाएं
पपेट और नुक्कड़ नाटक कर रहा है लोगों को आकर्षित
कृषि कानूनों की सच्चाई से रूबरू हो रहे किसान, दे रहे हैं जबरदस्त समर्थन
अजमेर 11 जनवरी 2021
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में चल रही ट्रैक्टर यात्रा में पपेट और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कृषि कानूनों की सच्चाई किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। किसान जब वास्तविकता से रूबरू हो रहे हैं और इस यात्रा का जबरदस्त समर्थन कर रहे हैं। आज यात्रा किशनगढ़ फल सब्जी मंडी में पहुंची जहां पर बड़ी संख्या में सब्जी पैदा करने वाले किसान मौजूद थे जहां अपनी बात रखते हुए राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सह सचिव मुकेश गोस्वामी ने कहा कि आज हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनी वाले जितना चाहो उतनी जमाखोरी कर सकते हैं । अब किसान का माल सस्ते भाव बिकेगा और वापस बड़े व्यापारियों से बहुत महंगे भाव में खरीदना पड़ेगा। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता है। यहां पर उपस्थित किसानों इन कहा कि जैसे हमारी सभी की बोली लगाई जाती है वैसे ही कंपनियों के सामानों की बोली लगाई जानी चाहिए। वहां पर स्थित कई किसानों ने बताया कि कई बार हमें टमाटर और गोभी गायों को खिलाने पड़े हैं। सभी किसानों ने एक स्वर में कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी का कानून किसानों की बहुत जायज मांग है जिसे सरकार को हर हालत में मानना चाहिए।
कुचील और सलेमाबाद हुई नुक्कड़ सभाएं
किशनगढ़ के बाद कूचील और सलेमाबाद में सभाएं हुई जहां पर मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक शंकर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल में कंपनियों का फायदा है और किसानों का कीमा बन रहा है क्योंकि जितना प्रीमियम किसान और सरकार मिलकर जमा करते हैं उससे बहुत कम क्लेम मिलता है। सभा में उपस्थित सभी किसानों से पूछा गया क्या किसी को कभी भी फसल बीमा का क्लेम मिला है तो सभी मना किया। राजसमंद के भीम से लेकर जितने भी गंव में मीटिंग की गई उन सभी में किसानों ने कहा कि आजतक एक रुपया भी नहीं मिला। विनीत भांभू ने कहा कि सरकारें कंपनियों के कहने से इसलिए कानून बनाती हैं क्योंकि ये कंपनियां ही राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में चुनाव में अनाप शनाप खर्चा करने के लिए पैसा देती है।
रूपनगढ़ में चौक पर हुई सभा
सलेमाबाद के बाद यात्रा रूपनगढ़ पहुंची जहां पर प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं कलाकार रामलाल भट्ट ने कठपुतली के माध्यम से कृषि कानून के बारे में बताया जिससे लोग बहुत आकर्षित हुए और बड़ी संख्या में चौक पर एकत्रित हुए जहां पर बड़ी सभा हुई। यहां यात्रियों का किसानों और मजदूरों के द्वारा बांकिया बजाकर स्वागत किया। सभा के दौरान कौन बनाता हिन्दुस्तान देश का मजदूर किसान जैसे नारे गूंजे। यहां पर सभा ठेका खेती के कानून और एपीएमसी कानून के बारे में विस्तार से बताया। सभा को बालू लाल,राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा के नौरतमल, कानी बाई, तेजाराम, उषा राम,आदि ने संबोधित किया एवं कमला बाई, रामगोपाल बैरवा, गंगाबाई, नचिकेत उपस्थित रहे।
सरल भाषा में बांटे पर्चे
किशनगढ़, कुचील, सलेमाबाद और रूपनगढ़ में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
ममाना और सोलावता के लिए निकली यात्रा
अब यात्रा मामाणा और सोलवता के लिए निकली है जो वहां मजदूरों और किसानों के साथ संवाद करेगी और सोलावाता के आसपास कहीं पर यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
कल सोलवाता, दूदू से लेकर बगरू के आसपास के गांवों और कस्बों में संवाद करेगी यात्रा
कल दिनांक 12 जनवरी 2021 को किसान समर्थन यात्रा सोलावता , दूदू और बगरू के आसपास के कई गांवों गांवों और कस्बों में संवाद करेगी।
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Ajmer; 10th January 2021)
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किसान ट्रेक्टर यात्रा ने की मांगलियावास, केसरपुरा, सराधना एवं बजरंगगढ़ में सभाएं
यात्रा को मिल रहा है मजदूरों और किसानों का अपार समर्थन
अजमेर 10 जनवरी 2021
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में चल रही ट्रैक्टर यात्रा को किसानों और मजदूरों के अपार समर्थन मिल रहा है। आज यात्रा मांगलियावास,केसरपुरा ,सरधना होती हुई अजमेर पहुंची।जहां बजरंग गढ़ चौराहे पर पीयू सी एल के नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा नुक्कड़ सभा व प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
जहां अपनी बात रखते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकर सिंह ने कहा कि आज हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनी वाले जितना चाहो उतनी जमाखोरी कर सकते हैं । अब किसान का माल सस्ते भाव बिकेगा और वापस बड़े व्यापारियों से बहुत महंगे भाव में खरीदना पड़ेगा। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है और बड़ी कंपनियां बहुत अधिक मुनाफा कमा रही हैं। यहां पर बड़ी संख्या में किसानों ने कहा कि हमारी फसल का मूल्य हमें लंबे समय से नहीं मिल रहा है, एमएसपी की कानूनी गारंटी का कानून किसानों की बहुत जायज मांग है जिसे सरकार को हर हालत में मानना चाहिए।
केसरपुरा और सराधना में हुई नुक्कड़ सभाएं
मांगलियावास के बाद केसरपुरा और सराधना में सभाएं हुई जहां पर राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव बालू लाल ने कहा कि हमें ना केवल जमाखोरी के बारे में समझना है अपितु हमने ठेका खेती और एपीएमसी का जो कानून लाया गया है उसके बारे में समझने की आवश्यकता है। सराधना में नुक्कड़ सभा में विनीत भांभू ने कहा कि सरकारें कंपनियों के कहने से इसलिए कानून बनाती हैं क्योंकि ये कंपनियां ही राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में चुनाव में अनाप शनाप खर्चा करने के लिए पैसा देती है। यहां से यात्रा अजमेर के लिए निकली।
अजमेर के बजरंगगढ़ शहीद स्मारक पर हुई सभा
अजमेर में आते ही आदर्शनगर से ही यात्रा की ओर से जागरूकता हेतु कठपुतली के माध्यम से किसान बचेगा तो देश बचेगा और गाने और बातचीत करते हुए शहर से निकले और बजरंगगढ़ चौराहे पर स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचे जहां पर अजमेर के शहर के साथियों ने यात्रियों का फूलों से स्वागत किया। सभा के दौरान कौन बनाता हिन्दुस्तान देश का मजदूर किसान जैसे नारे गूंजे। यहां पर सभा को संबोधित करते हुए पीयूसीएल राजस्थान के उपाध्यक्ष डी एल त्रिपाठी ने कहा कि किसानों का यह आंदोलन ऐतिहासिक आंदोलन है। सरकार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि किसान इस तरह आंदोलन में उतर जाएंगे। यह केवल किसानों की लड़ाई नहीं है यह हर एक व्यक्ति की लड़ाई है। पीयूसीएल के राज्य महासचिव अनंत भटनागर ने कहा कि जिसे अनपढ़ कहा जाता है, गंवार कहा जाता है वह सबसे पहले जाग गया है, मोदी सरकार यह प्रयास कर रही है कि कैसे किसानों की जमीन पूंजीपतियों के पास कैसे आएं और उससे ये बड़े पूंजीपति अपने खजाने कैसे भरें यह हम हरगिज नहीं होने देंगे। सभा को मुकेश कुमार, बालू लाल,डॉ सुरेश अग्रवाल,गीता कैरोल,प्रवीण कुलश्रेष्ठ,रमेश लालवानी,राधावल्लभ शर्मा,ओ पी रे,करुणा फिलिप्स,अंजू नयाल,डॉ कुसुम पालीवाल,के डी शर्मा,दीपा पारवानी आदि ने भी संबोधित किया।
मांगलियावास, केसरपुरा, सराधना और बजरंगगढ़ शहीद स्मारक अजमेर में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
गेगल और किशनगढ़ के लिए निकली यात्रा
अब यात्रा गेगल और किशनगढ़ के लिए निकली है जो वहां मजदूरों और किसानों के साथ संवाद करेगी और किशनगढ़ के आसपास कहीं पर यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
कल किशनगढ़ और दूदू के आसपास के गांवों और कस्बों में संवाद करेगी यात्रा
कल दिनांक 11 जनवरी 2021 को किसान समर्थन यात्रा किशनगढ़ और दूदू के आसपास के कई गांवों गांवों और कस्बों में संवाद करेगी।
उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा किसानों के समर्थन में यह किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा शुरू की है जो जगह जगह संवाद और मीटिंग करते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंचेगी।
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (Bhim, Jawaja, Beawar; 9th January 2021)
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किसान ट्रेक्टर समर्थन यात्रा भीम की सब्जी मंडी से शुरू
भीम, जवाजा, ब्यावर 9 जनवरी 2021
मजदूर किसान शक्ति संगठन और राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के द्वारा दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर चल रहे आंदोलनों समर्थन में राजसमंद जिले की भीम की सब्जी मंडी से किसान ट्रेक्टर यात्रा की शुरुआत की। भीम मंडी में बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली में चल रहे आंदोलन का समर्थन जाहिर किया। मंडी में किसानों के साथ बातचीत करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकर सिंह ने कहा कि आज हमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए दो खेती से संबंधित कानूनों एवं आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के बारे में समझना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनी वाले जितना चाहो उतनी जमाखोरी कर सकते हैं । अब किसान का माल सस्ते भाव बिकेगा और वापस बड़े व्यापारियों से बहुत महंगे भाव में खरीदना पड़ेगा। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है और बड़ी कंपनियां बहुत अधिक मुनाफा कमा रही हैं।
जवाजा में मजदूर किसान संवाद एवं बाजारों में निकली रैली
यात्रा भीम के बाज़ार में से निकलती हुई जवाजा पहुंची और वहां बांध की पाल पर मजदूरों और किसानों का संवाद हुआ।
जवाजा में बड़ी संख्या में मजदूर और किसान साथी आंदोलन के समर्थन में शुरू हुई यात्रा के समर्थन और स्वागत में जुटे।
इस संवाद में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव बालू लाल ने कहा कि यह लड़ाई केवल किसानों की नहीं है यह लड़ाई मजदूरों की भी उतनी है जितनी किसानों की है। केंद्र में बैठी सरकार मजदूरों और किसानों के लिए नहीं सोच रही है वह तो अडानी और अंबानी के फायदे के लिए सोच रही है और ये तीनों कानून कंपनियों के फायदे के लिए ही बनाए गए हैं। राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन से जुड़ी बडकोचरा से आई राधा देवी ने कहा कि हम मजदूर पूरी तरह किसानों के साथ हैं। ठेका खेती और मंडी का कानून जो बनाया गया है वह बड़ी कंपनियों के हित में है और मजदूरों और किसानों के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है।
जवाजा कस्बे में निकाली रैली
मजदूर किसान संवाद के बाद जवाजा पाल से पूरे कस्बे में रैली निकली जो लगभग एक किलोमीटर लंबी थी। रैली में कौन बनाता हिन्दुस्तान देश का मजदूर किसान जैसे नारे पूरे कस्बे में गूंजे और 12 क्वार्टर पर जाकर रैली का समापन हुआ।
ब्यावर के बाजारों में निकाली रैली
जवाजा के बाद किसानों की मांगों के बारे में छोटे व्यापारियों और मजदूर किसानों को बताने के उद्देश्य से ब्यावर में जय मंदिर सिनेमा से शुरू होकर चांग गेट से होकर पाली बाज़ार, पांच बत्ती, अजमेरी गेट होते हुए भगत चौराहे पर समाप्त हुई। ब्यावर शहर में मजदूर, किसान और व्यापारियों किसान आंदोलन और इस यात्रा का समर्थन किया। ब्यावर शहर में यात्रा को जबरदस्त समर्थन मिला।
जवाजा और ब्यावर में वॉलंटियर्स के द्वारा पर्चे बांटे गए जिसमें सरल भाषा में तीनों कानून के बारे में समझाया गया है।
पीपलाज एवं खरवा के लिए निकली यात्रा
अब यात्रा पीपलाज़ और खरवा के लिए निकली है जो वहां मजदूरों और किसानों के साथ संवाद करेगी और खरवा में यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
कल अजमेर के विभिन्न गांवों और शहर में संवाद करेगी यात्रा
कल दिनांक 10 जनवरी 2021 को किसान समर्थन यात्रा अजमेर जिले के कई गांवों और अजमेर शहर में संवाद करेगी।
उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा किसानों के समर्थन में यह किसान समर्थन ट्रेक्टर यात्रा शुरू की है जो जगह जगह संवाद और मीटिंग करते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंचेगी|
Press Release on Kisan Samarthan Tractor Yatra (8th January 2021)
दिल्ली में चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में किसान यात्रा की शुरुआत भीम सब्जी मंडी से कल
भीम , 8 जनवरी
मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की ओर से दिल्ली में चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में भीम से शाहजहाँपुर बार्डर (हरियाणा) सीमा तक किसान ट्रेक्टर यात्रा निकाली जा रही है I जिसमें मजदूर एवं किसान केंद्र सरकार द्वारा लाये गए दो कृषि कानूनों एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन )अधिनियम 2020 के प्रावधान किस प्रकार मजदूरों एवं किसानों के लिए हानिकारक हैं समझाया जाएगा।
इस किसान ट्रेक्टर यात्रा की शुरुआत कल दिनांक 9 जनवरी 2021 को सब्जी मंडी भीम से की जायेगी ,जहां पर किसानों से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानूनों के बारे में संवाद किया जायेगा और वे किस प्रकार किसानों के लिए खतरनाक हैं इसके बारे में बताया जाएगा।
यह ट्रेक्टर किसान यात्रा भीम सब्जी मंडी से रवाना होकर जवाजा जायेगी जहां पर रैली निकालकर किसान आन्दोलन का समर्थन जाहिर किया जाएगा। उसके बाद ब्यावर में भी रैली निकाली जायेगी एवं उसके बाद यह यात्रा अजमेर की ओर निकलेगी और इसी प्रकार किसानों के साथ संवाद करते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पर पहुंचेगी। यात्रा का कार्यक्रम इस प्रकार रहेगा:-
भीम सब्जी मंडी – सुबह 8बजे किसान संवाद
जवाजा रैली – सुबह 11बजे जवाजा पाल से पंचायत समिति तक* व *किसानो एवं मजदूरों से संवाद*
ब्यावर रैली एवं संवाद दोहपर -2 बजे
शंकर सिंह, नारायण सिंह, लालसिंह, रूपसिंह, विनीत, लक्ष्मी चौहान, मुकेश कुमार, कार्तिक, निखिल शेनॉय, रंजीत सिंह, गोपाल सिंह, शुभांगी एवं क्षेत्र के किसान साथी
मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की ओर
Statement Against Dilution of Labor Laws | 22 May, 2020
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) and Rajasthan Asangathit Mazdoor Union (RAMU), strongly condemn the various State governments’ callous decisions to dilute or suspend labour laws. We stand in solidarity with the nationwide strike by Trade Unions on May 22, 2020, against the Centre and States’ regressive steps.
The Covid-19 pandemic and the subsequent poorly planned government-imposed lockdown has resulted in a dire situation for labour and working classes, who find themselves unemployed with no social security. In the midst of such a human calamity, instead of ensuring the fundamental rights and protections of workers, the governments of Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Gujarat have adopted draconian measures that exempt businesses and corporate establishments from providing workers with basic amenities for roughly the next 3 years. Additionally, the governments of Rajasthan, Punjab, Haryana, Goa, Himachal Pradesh, Odisha and Uttarakhand have relaxed sections of the Factories Act, 1948, thereby allowing increased working hours from 9 hours to 12 hours per day.
These are regressive, undemocratic and unconstitutional steps. Labour laws have historical precedence in worker mobilisations since pre-independence. The right against exploitation is a fundamental right enshrined in the Indian Constitution (Articles 23 and 24). Instead of providing adequate relief to a section of society languishing during the lockdown – the poor and working class – these State governments have chosen to promote the interests of capitalist classes. The MKSS fears that this abrogation of labour rights will take the States back to feudal, dehumanising and slave-like conditions for the poor worker.
The ordinance passed by Uttar Pradesh and promulgated by Madhya Pradesh and Gujarat propose to exempt factories, businesses and other establishments from the purview of most labour laws regulating work conditions. This effectively denies employees mandatory provision of toilets, drinking water, rest breaks, weekly holidays, sitting facilities, protective equipment, medical aid, and many other basic necessities. Additionally, laws related to settling industrial disputes, occupational safety, health and working conditions of workers, and those related to trade unions, contract workers, and migrant labourers are rendered defunct.
We support the call for public protest and strike made by the national trade unions. Some of their demands to the government include:
● A cash transfer of rupees 7,500 per month for the next 5 months for all non-income taxpayers.
● Universalisation of ration.
● Increase in the amount directly transferred to Jan Dhan accounts.
● Repeal of ordinances and orders that annul hard fought rights of labour.
The global pandemic has led to the dilution of systems of governance, transparency and accountability, participatory democracy, and the guarantee of rights in crisis. The livelihoods of millions of people are under threat because of Covid-19, and the Indian State governments are ruthlessly taking advantage by ramming through ordinances and orders circumventing labour laws. As a result labourers and working class may be rendered with no choice but to accept paltry wage and inhuman working conditions to survive.
Though successive governments have compromised on the rights of the worker in the neoliberal rush for economic growth and increased investment, the situation has never before been this alarming. Many rights for workers have been won through collective mobilisation and struggle, which is now made impossible during the lockdown. The suspension of fundamental rights in the absence of normal modes of dissent and legal recourse is unconstitutional and immoral. In the name of encouraging investment and boosting the economy, a country cannot forsake the most marginalised worker.
The MKSS condemns the state-sanctioned exploitation of labour and the working class, and will be joining today’s strike. As countries across the world rapidly shift to increase labour security through measures such as wage subsidies, it is a matter of shame that the Indian state is trying to suspend the rights and protection offered to a large section of the Indian labour force. We will continue to actively resist the nexus of government with capitalists that does not have consideration for the plight of the working poor. We demand that all labour laws be reinstated, and that all governments ensure that the poor are able to live and work with dignity.
May Diwas | 1st May 2020
‘ग्रामीण क्षेत्र में हर व्यक्ति को रोजगार की गारंटी दी जाये’- अरुणा रॉय
‘शहरी रोज़गार गारंटी कानून बनाया जाये’- निखिल डे
भीम, 1 मई 2020
कोरोना महामारी की वजह से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस व मजदूर किसान शक्ति संगठन का 30वां स्थापना दिवस वर्चुअली (ऑनलाइन) मनाया गया जिसमें राजस्थान सहित पूरे देश के संगठन व यूनियन से जुड़े साथियों ने भाग लिया. आज कोरोना महामारी के समय में देश का सबसे बड़ा तबका, मजदूर, कोरोना से तो लड़ ही रहा है, पर उसके साथ-साथ भय, भूख और रोज़गार के संकट से भी जूझ रहा है. हम सभी जानते हैं, कि कुल मजदूरों के 93% प्रतिशत मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है. वे गरीबी से भयंकर रूप से लड़ रहे हैं. अधिकतर प्रवासी मजदूरों के पास खाने को कुछ नहीं है और जरुरत के अन्य सामान खरीदने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. इस संकट के समय में मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जितने दिन उन्होंने काम किया, उन्हीं दिनों का भुगतान नहीं किया गया है तो लॉकडाउन के दौरान का भुगतान मिलना तो उनके लिए शायद सपने जैसा ही है.
आज मई दिवस की ऑनलाइन शुरुआत करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापक सदस्य और सामाजिक कार्यकर्त्ता अरुणा रॉय ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर शहरों से लौटकर गाँव की ओर जा रहे हैं. इसलिए, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी रोज़गार कार्यक्रम के अंतर्गत जो भी वयस्क, जितने भी दिनों के लिए काम मांगता है, उसे उतने दिन काम दिया जाये. ये ऐसा समय है जब ग्रामीण क्षेत्र में हर वयस्क को काम की आवश्यकता है.
आज के इस कार्यक्रम में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की राज्य अध्यक्षा नौरतीबाई, जो 80 के दशक से असंगठित क्षेत्र के मजदूर हकों के लिए संघर्षरत हैं, ने कहा कि कोरोना महामारी ने मजदूरों के लिए एकता का एक बार फिर मौका दिया है क्योंकि इस समय में सबसे अधिक भेदभाव मजदूरों के साथ ही किया जा रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने संकट के इस समय में शहरी रोज़गार गारंटी कानून बनाये जाने की मांग रखी क्योंकि अभी शहरों में लोगों के पास कोई काम नहीं है. पहले भी बहुत लोगों के पास काम नहीं था लेकिन अब तो शहरी क्षेत्र में काम दिए जाने की सख्त आवश्यकता है.
संगठन के पुराने साथियों ने एक मई को आयोजित होने वाले मेले के बारे में अपने अनुभव साझा किये, वैसे भी पिछले 30 वर्षों में यह पहला मौका है जब यह मेला नहीं हुआ है. इस मेले में हजारों की तादाद में लोग आते हैं और ये लोगों के लिए एक आदत बन गई है, कि एक मई को पाटिया के चौड़े, भीम जिला राजसमन्द में मजदूरों का मेला होगा. लोग मेले में आते हैं और मंच से चल रही बातचीत तो सुनते ही हैं, बहुत सस्ते भाव पर मिलने वाला सामान भी खरीदते हैं और आनंदित होते हैं.
इस मजदूर मेले के साथ पारदर्शिता, जवाबदेही और रोज़गार के लिए जो आन्दोलन हुए, उनके इतिहास पर भी बात हुई क्योंकि यह मजदूर मेला सूचना के अधिकार, राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी सहित कई अन्य कानूनों के लिए हुए आन्दोलनों का गवाह रहा है. इस मेले के दौरान स्थानीय लोगों ने जो मुद्दे उठाये, वे राष्ट्रीय पटल तक गए और उ मुद्दों पर आगे जाकर कानून बने.
इस मौके पर प्रसिद्द समाज विज्ञानी सतीश देशपांडे ने कोरोना काल में मजदूरों की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया. वहीँ मानवाधिकार कार्यकर्त्ता पीयूसीएल की राज्य अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव ने लॉकडाउन की वजह से हो रहे मजदूरों और अन्य लोगों पर मानवधिकार दमन के मामलों पर प्रकाश डाला. उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन के दौरान हुए दमनों ने आपातकाल के दौरान हुए दमनों को भी पीछे छोड़ दिया है. हमारे साथ दक्षिण एशिया जानी मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता कमला भसीन भी शामिल हुईं और उन्होंने मई दिवस मेले को याद करते हुए, अनेक वर्ग, उम्र, दृष्टिकोण के साथियों का एक संगम सामान कहा.
मीटिंग में लोकतंत्रशाला के सचिव लाल सिंह, रेनी, नवाज, मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य शंकर सिंह, नारायण सिंह, करुणा मुथैया, मृदु शर्मा, विनीत, लक्ष्मी चौहान, मीराबाई, रूपसिंह, सौम्या किडाम्बी, नचिकेत, पारस बंजारा, दिग्विजय सिंह, सबा, प्राविता कश्यप, श्रेणिक मुथा, जननी श्रीधरन, कालूराम, रुकमनी देवी, अमित शर्मा, अविनाश, ब्रह्मचारी, अनुमेहा, राधिका गणेश, रक्षिता स्वामी, नंदिनी, शुभांगी शुक्ला, लक्ष्मण सिंह, रतन, शीलू, दीपू, एवं अन्य सभी कार्यकर्ता जुड़े तथा पेंशन परिषद् से नैंसी, भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति से कोमल श्रीवास्तव, सूचना का अधिकार मंच से कमल टांक, सूचना के जन अधिकार के राष्ट्रीय अभियान से भास्कर प्रभु, असमी शर्मा, मजदूर किसान किराना स्टोर से मोहन सिंह, गोपाल सिंह, जन आन्दोलनों के समन्वय से अखिल चौधरी, मानवाधिकार संगठन पी यू सी एल से शुभा, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के राज्य सचिव बालुलाल, मुकेश गोस्वामी, निखिल शेनॉय, नोरतमल, कार्तिक सिंह, ईश्वर सिंह, कमलराज, सिमरन, हेमलता, माया, कनिका,व अन्य कई कार्यकर्त्ता जुड़े.
बालूलाल, रूपसिंह, निखिल शेनॉय, विनीत, कार्तिक, ईश्वर, लक्ष्मण, मुकेश, शुभांगी एवं अन्य सभी साथी
मजदूर किसान शक्ति संगठन और राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की ओर से
Statement on Palghaar Lynching
पालघर जैसी म़ोब लिंचिंग की घटनाओं पर पुख्ता रोक लगाई जाये और मोब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाये.
मजदूर किसान शक्ति संगठन महाराष्ट्र के पालघर जिले में दिनांक 16 अप्रेल 2020 को भीड़ द्वारा संत कल्पवृक्षगिरी, सुशीलगिरी व ड्राईवर निलेश तेलगाड़े, की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर की गई हत्या की कड़ी निंदा करता है | कल्पवृक्षगिरी 70 वर्ष के थे और सुशीलगिरी 35 वर्ष के थे ये दोनों श्री श्री पंच जूना अखाडा से जुड़े हुए थे | निलेश तेलगाड़े उनकी गाड़ी के ड्राइवर थे | इस भीभत्स घटना में महाराष्ट्र पुलिस के 2 पुलिस वाले भी बुरी तरह घायल हुए हैं | स्थानीय आदिवासियों के बीच यह अफवाह थी कि छोटे बच्चो को उठाने वाले गिरोह के ये लोग सदस्य हैं| महाराष्ट्र सरकार ने अब तक 100 से भी अधिक आदिवासियों को इस तिहरे हत्याकांड में गिरफ्तार किया है I हमारी मांग है कि जल्द अदालत में चालान दायर कर जल्द ट्रायल कर इस तिहरे लिंचिंग द्वारा किये गए हत्याकांड में न्याय दिलवाया जायेI महाराष्ट्र प्रदेश सरकार राज्य में म़ोब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाएंI
केंद्र सरकार म़ोब लिंचिंग के विरुद्ध कानून लाये और राज्यों द्वारा पारित विधेयकों को तुरंत राष्ट्रपति से सहमति दिलवाएं
वैसे गाय के नाम पर 2014-15 से शुरू हुई पीट-पीटकर मार डालने की घटनायें अब देशभर में फ़ैल चुकी हैं केवल शक के नाम पर कोई भी इसका शिकार हो सकता है | इन्हीं 5 सालों में सबसे ज्यादा भीड़ द्वारा हत्याएं गाय के नाम पर हुई है और एक विशेष समुदाय के लोग शिकार हुए हैI लेकिन यह म़ोब लिंचिंग की घटनाएँ, कभी गाय को लेकर तो कभी बाल काटने के नाम पर, तो कभी बच्चा उठाने के नाम पर जन भावनायें भड़काई जाती हैI साथ में इस तरह की भीड़ को राजनीतिक समर्थन भी भरपूर मिला है, जिससे भीड़ की अराजकता बढती जा रही है पिछले 5 सालो में यह घटनाएँ बढ़ ही रही हैं और लगभग 120 लोग मारे गए हैं |
अब समय आ गया है कि भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने की घटनाओं से निबटने के लिए 2018 में उच्चतम न्यायलय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों को केंद्र व राज्य सरकारों को लागू करना चाहिए I जिसमें विशेष कानून बनाये जाने के लिए आदेशित किया गया है। केंद्र सरकार ने तो अभी तक कोई कानून नहीं बनाया और जिन राज्यों ने, जैसे मणिपुर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल की राज्य विधानसभाओं ने कानून भी पारित किये हैं लेकिन उन्हें राष्ट्रपति महोदय ने अभी तक अपनी मंजूरी नहीं दी है I
देश में अमन शान्ति बनाये रखने के लिए और धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने की चेष्टा करने वालों के विरुद्ध सख्त क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिसके लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को तुरंत लंबित विधेयकों को तत्काल महामहिम राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करवाकर इन्हें कानूनी रूप देने में मदद करनी चाहिए और म़ोब लिंचिंग के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर पुख्ता कानून लाया जाये जिससे कि देश में भारी अराजकता रोकी जाए I
अरुणा रॉय, शंकर सिंह, निखिल डे एवं मजदूर किसान शक्ति संगठन के सभी साथी
मजदूर किसान शक्ति संगठन की ओर से
All India General Strike | 8 January 2020
Statement Against CAA | 2019
Statement on Death of Constable Abdul Ghani | 14th July
Tab Content
Solidarity with Mazdoor Kisan Sangharsh Rally | September 2018
Press Release
07/09/2018
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan stands in complete solidarity with those participating in the Mazdoor Kisan Sangharsh Rally and unilaterally supports and reiterates all the demands raised by it.
The current Government has taken systematic measures to undermine democratic, social and economic rights of citizens that are protected under the Indian Constitution and furthered by a slew of legislations that emerged out of sustained peoples’ campaigns and movements. We support the All India Kisan Sabha and all participants of the Sangharsh Rally in exposing the BJP Government for taking a slew of anti-farmer and anti-worker measures such as non-implementation of the Forest Rights Act; non-implementation of recommendations of the Swaminathan Commission; rolling back from its promise on loan waivers, job creation and introducing anti-labour legislations and violating the Minimum Wages Act. This systematic undermining of the rights of the most marginalized and deprived sections of our society that include agricultural workers, small and marginalized farmers, women, Dalits and adivasis is a concerted attack by the current Government.
We resolve to stand in solidarity with the lakhs of citizens, campaigns, networks and peoples’ movements to highlight and protest against the unjust and unconstitutional policies of the State, through peaceful and democratic means. Over the next two months, we will also
participate in the Pension Parishad Rally and Jan Manch, that is coming together to demand for universal social security to the unorganised sector on the 30th of September and the 1st of October. Ekta Parishad is also coming together in a massive march to demand peoples’ rights over homestead and agricultural lands, and there has also been a call for action by multiple groups to demand a special session of Parliament to discuss the current acute distress in the agriculture sector and immediate measures to be taken to address it.
When the policies of the Government don’t change for the people, the people will resolve to change the Government.
‘Nyay samaanta ho aadhar, aisa rachenge hum sansaar!”
– Aruna Roy, Nikhil Dey and Shankar Singh on behalf of the Mazdoor Kisan Shakti Sangathan, Rajasthan
NREGA Diwas | Feb 2019
प्रेस विज्ञप्ति
धूमधाम से मनाया नरेगा दिवस
नरेगा मजदूरी 500 रुपये प्रतिदिन एवं 200 दिन की गारंटी की जाये
2 फरवरी 2019, जवाजा, अजमेर
आज दिनांक 2 फरवरी 2019 को राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा नरेगा दिवस मनाया गया जिसमें अजमेर जिले की जवाजा पंचायत समिति, पाली जिले की रायपुर पंचायत समिति की विभिन्न ग्राम पंचायतों के 500 से अधिक मजदूरों ने हिस्सा लिया. आप सभी को विदित है की आज ही के दिन 2 फरवरी 2006 को महात्मा गाँधी नरेगा की देश के अति पिछड़े 200 जिलों में शुरुआत हुई थी. महात्मा गाँधी नरेगा को आज 13 वर्ष पूर्ण होने पर मजदूरों ने जमकर ख़ुशी मनाई. इस मौके पर महात्मा गाँधी नरेगा के लिए हुए आन्दोलन के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया गया और विभिन्न मजदूरों और पदाधिकारियों ने अपनी बात रखी.
अधिकार आधारित नरेगा को बना दिया स्थानीय प्रशासन की मर्जी
आसन ग्राम पंचायत के रानौता गांव से आई पूजा ने बताया कि हमारे गांव में पिछले साल कई सालों के बाद नरेगा की शुरुआत हुई उससे पहले सचिव सरपंच ही नरेगा लाते थे लेकिन आज गांव के मजदूर ग्राम पंचायत में जा रहे हैं नरेगा के लिए आवेदन का फार्म नंबर 6 भर रहे हैं और काम मांग रहे हैं इससे स्थानीय प्रशासन के ऊपर दबाव बना है और अब वह ठीक से काम करने लगे हैं. लोगों को जो काम दिया जाता है उसे पूरा करते हैं और पूरा दाम (नरेगा में निर्धारित मजदूरी) ही लेते हैं. उन्होंने बताया कि यूनियन से जुड़े हुए सभी सदस्य नरेगा में निर्धारित विभिन्न टास्क के अनुसार काम करते हैं और वे उम्मीद करते हैं कि उनको नरेगा में निर्धारित पूरी मजदूरी मिले लेकिन कई जगहों पर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और मजदूरों को पूरी मजदूरी नहीं देने की नियत एवं स्थानीय प्रशासन को भ्रष्टाचार का मौका नहीं मिलने के कारण मजदूरों की मजदूरी काटी जाती है. वे यह सब इसलिए करते हैं क्योंकि मजदूरों में निराशा पैदा हो और वह पूरा काम करने के लिए उत्साहित नहीं हों.
मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य एवं वरिष्ठ रंगकर्मी शंकर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नरेगा आईसीयू में है और उसके डॉक्टर सभी मजदूर या उस में काम करने वाले लोग हैं, उन्होंने कहा कि यह गरीबों और वंचितों के लिए बहुत अच्छा कार्यक्रम है लेकिन स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और भ्रष्ट लोगों की वजह से नरेगा में पूरा काम करने वाले लोगों को पूरी मजदूरी नहीं मिलती क्योंकि जो पूरा काम करते हैं और काम बहुत कम करते हैं या बिलकुल भी नहीं करते हैं या जो काम पर उपस्थित भी नहीं होते हैं उन सब को प्रशासन की तरफ से एक ही मजदूरी की दर दे दी जाती है इससे मजदूरों में निराशा का भाव पैदा करती है और इसकी वजह से विगत कई वर्षों में नरेगा का बुरा हाल हुआ है इसलिए यूनियन पूरा काम और पूरा दाम के सिद्धांत पर राज्य के 4 जिलों में काम करवा रहा है वह एक सराहनीय कदम है. सभा को सामाजिक कार्यकर्ता सुशीलाबाई ने संबोधित किया और कहा कि इस कानून के लिए घाघरा पलटन (महिलाओं) आंदोलन किया था और यह घाघरा पलटन ही नरेगा को ठीक से चलाकर दिखायेंगे.
सभा में उपस्थित यूनियन के राज्य कोषाध्यक्ष रूप सिंह ने बताया कि वे पाली जिले की रायपुर पंचायत समिति की विभिन्न ग्राम पंचायतों में पूरा काम पूरा दाम के सिद्धांत पर नरेगा में काम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, उन्होंने बताया की जब वे कलालिया ग्राम पंचायत में पूरा काम करके पूरा दाम के लिए काम कर रहे थे तो उस ग्राम पंचायत एन कुछ दिन तो स्थानीय प्रशासन ने पूरा काम करने पर पूरा दाम दिया लेकिन स्थानीय प्रशासन को लगा कि नरेगा में भ्रष्टाचार बिल्कुल बंद हो जाएगा इसलिए उन्होंने मजदूरों के पूरा काम किए जाने पर 94 रुपये प्रतिदिन की मजबूरी दे दी. जब उसका विरोध किया और मजदूरी नहीं लिए जाने तथा इसकी शिकायत आयुक्त नरेगा को किए जाने पर उस ग्राम पंचायत में पंचायत समिति स्तर से संविदा कर्मी रोजगार सहायक और कनिष्ठ तकनीकी सहायक के खिलाफ कार्रवाई हुई और उन्हें हटा दिया गया. इस सबके बाद कलालिया ग्राम पंचायत में सरपंच पति और ग्राम रोजगार सहायक ने मुझे धमकाना शुरू किया और कई अन्य लोगों से भी धमकियाँ दिलवाई कि तुम्हें जान से मार दिया जाएगा लेकिन इस प्रकार की धमकी से हम हार नहीं मानने वाले हैं ये लड़ाई हम लड़ेंगे. सभा में उपस्थित और उनके साथ कलालिया बगड़ी और अन्य ग्राम पंचायतों से आए ग्राम वासियों ने उनको पूरा साथ देने का ऐलान किया.
सरकारी कर्मचारियों, अधिकारीयों और जन प्रतिनिधियों की जवाबदेही तय हो
यूनियन की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकेश गोस्वामी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों की तनख्वाह वर्ष में दो बार बढ़ जाती है लेकिन मजदूरों की पिछले साल नरेगा में एक भी रुपया नहीं बढ़ा. इसी प्रकार जो मजदूरी तय की जाती है वह भी बहुत कम है जबकि सरकारों में स्थित मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को भी बहुत अधिक वेतन मिलता है इसलिए हमें जीवन निर्वाह के लिए उचित मजदूरी की मांग रखनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार नरेगा मजदूरों को निर्धारित टास्क पूरा करना पड़ता है तभी उनको पूरी मजदूरी मिलती है उसी प्रकार सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. नरेगा दिवस के अवसर पर यूनियन की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य निखिल शिनॉय ने मजदूरों से अपील की कि हम कहीं पर भी एक रुपया कम नहीं लेंगे और ये लड़ाई हम सब साथ मिलकर लड़ेंगे.
असंगठित मजदूर यूनियन का होगा विस्तार
राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के राज्य के उपाध्यक्ष केसर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह यूनियन केवल अजमेर, पाली, राजसमंद या भीलवाड़ा जिले तक ही सीमित नहीं रहेगी हम इस यूनियन के काम को संपूर्ण राजस्थान में ले जायेंगे. उन्होंने आगे कहा कि हम यूनियन के काम में केवल नरेगा श्रमिकों तक सीमित नहीं रहेंगे हम अन्य मजदूर जैसे रेहड़ी-पटरी, हमाल( पल्लेदार) खेतिहर, निर्माण व घरेलू आदि श्रमिको को इस यूनियन के साथ जोड़ेंगे और एक बड़ा कारवां बनेगा. सभा को यूनियन के संभागीय सचिव महेंद्र सिंह उर्फ़ कार्तिक ने संबोधित किया और उन्होंने कहा कि हम यूनियन का विस्तार नागौर और भीलवाड़ा जिले में भी जल्दी ही करेंगे.
मजदूरों ने लिए संकल्प और किये प्रस्ताव पास
सभा में उपस्थित 500 से अधिक मजदूरों ने आज यह संकल्प लिया कि वे नरेगा को हर हालत में ठीक करेंगे और राज्य के हर गांव और पंचायत में स्वयं जाकर मजदूरों को पूरा काम करने के लिए प्रेरित करेंगे और किसी भी हालत में पूरी मजदूरी से कम नहीं लेंगे यह संदेश राज्य के कोने-कोने तक पहुंचाएंगे. कार्यक्रम के अंत में यूनियन की जवाजा पंचायत समिति स्तरीय कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें रज्जूदेवी को सर्वसम्मति से अध्यक्ष, तुलसी देवी को उपाध्यक्ष, पूजादेवी को सचिव व हेमलता को कोषाध्यक्ष चुना गया. कार्यकारिणी के 4 अन्य सदस्य चुने गये जिनमें बंजारी से भगवती व सुरडिया से सीतादेवी को चुना गया. यूनियन की तरफ से अंत में निखिल शिनॉय ने प्रधानमंत्री एवं राज्य के मुख्यमंत्री को भेजे जाने वाले ज्ञापन के लिए की जाने वाली मांगे और प्रस्तावों को पढ़कर सुनाया गया जो प्रस्ताव लिए गए वह निम्न प्रकार है:-
- महात्मा गाँधी नरेगा में कम से कम 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी की जाये.
- महात्मा गाँधी नरेगा में 200 दिन की गारंटी की जाये.
- केंद्र सरकार नरेगा के लिए 6000 करोड़ रुपये सत्र 2018-19 के लिए तुरंत रिलीज़ किया जाये.
जारीकर्ता
महेंद्र सिंह उर्फ़ कार्तिक
संभागीय सचिव अजमेर, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन
—
Mazdoor Kisan Shakti Sangathan
Village – Devdungri, Post – Barar,
District – Rajsamand, Rajasthan, India – 313341
Website – http://www.mkssindia.org/
Facebook – https://www.facebook.com/Mazdoor-Kisan-Shakti-Sangathan-MKSS-343247009116349/
Twitter – https://twitter.com/mkssindia
4 Attachments
Statement Welcoming CPIO Judgement
Statement Condemning State Response to Protests | December 2012
Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) Village Devdungri,
Post Barar 313341, District Rajsamand, Rajasthan
Statement Condemning State Response to Protests
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) is shocked and dismayed at the reaction of the State in dealing with the protests at North Block on 22nd December 2012. This is against a backdrop of the most brutal gang rape and attack on an innocent 23 year old girl on 16th December 2012, which still stands basically unaddressed despite promises of fast tracking justice. The protest is to be understood as a method of expressing anxiety, anger and angst of 50 percent of the Indian population against an apathetic state.
The State has lost its capacity to address events such as this immediately and with responsibility. It stands to reason that strong emotions and reactions from people are inevitable and that it needs to be handled through dialogue and sympathy. Every woman and the parents of every young woman now live under the uncertainty of attack and insurmountable pain. Every woman empathizes and identifies with violence on another, and it has been reassuring to see men with women protest against brutality and deliberate violence on innocent people.
Curbing such protests with violence by the State is no answer. Many of the placards of the protestors demand maturity of response. The answer does not lie in introducing the death penalty but in delivering faster and more effective justice for the victim. This spiraling frustration is fuelled to make dissenters demand more and more , including violent punishment. What will make a peaceful and safe society for women is the daily resolution of violence in its smaller and bigger manifestations. It is the responsibility of the State to deal with these sentiments immediately, beginning with accepting its responsibilities.
This incident has to be seen as the last in a series of continuous escalating intimidation of people by the state. While pleading helplessness in resolving criminal action it is quick to repress non violent protests. This is therefore to be seen as a continuation of a series of such actions. (Dayamani Barla, from Jharkhand was granted bail after months in jail, only yesterday for protesting against forcible land acquisition and the demand for MGNREGA job cards. The brutal crack downs in Kudankulam on the peaceful protests against the nuclear power plant will continue to be a shame for our democratic country.)
The State would do well to acknowledge its own inadequacies and redress violence by quick remedial action. That alone can bring the growing trend of violence against women in multiple forms under control. Whether it is Khap panchayats or feoticide, the machismo of a regressive society is fostered and promoted by such actions.
The MKSS strongly opposes the crackdown on protestors and calls for an immediate platform to be created to dialogue with the protests accepting accountability and to find methods of effective resolution.
Aruna Roy, Nikhil Dey, Lal Singh, Bhanwar Meghwanshi, Narayan and Shankar Singh, (for the MKSS )
23rd December 2012
Statement Condemning Arrest of Dayamani Barla | October 2012
Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) Village Devdungri,
Post Barar 313341, District Rajsamand, Rajasthan
Statement Condemning Arrest of Dayamani Barla
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) strongly condemns the arrest of Dayamani Barla from Jharkhand, National Co-Convener of the National Alliance of People’s Movements (NAPM) and Executive Committee Member of the India Social Action Forum (INSAF). Dayamani has been a leader of various people’s movements and campaigns across India and has been repeatedly threatened for her democratic protests against land acquisition in Nagari, Jharkhand.
The police have reopened an earlier case registered in 2006, when she spent fourteen days in Judicial Custody, after being charged under various sections of the Indian Penal Code, including Section 148 (rioting, armed with deadly weapon). She was participating in a protest demonstration, which blocked the road, demanding job cards for rural laborers under the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA). She was arrested again this month, and when granted bail on 19th October by a local court of Ranchi, was immediately arrested in a new case, the details of which the Jail authorities refuse to disclose due to ‘technical reasons’, and remains in jail as of now.
This intimidation is due to the peaceful peoples protest against the acquisition of fertile agricultural land at Nagari, a village situated a few kilometers from Ranchi, supporting 500 tribal families. The land was acquired in 1957-58 for building a seed farm for the Birsa Agricultural University, which did not get built, and was later allotted, to IIM and NUSRL by the Jharkhand Government.
A Right to information (RTI) application filed by the villagers has revealed that in 1957 (in the then unified Bihar), of the 153 families whose land was acquired, only 25 took the compensation at a rate of Rs 2,700 an acre. The remaining families declined the compensation offered. Further, the land was then acquired under the urgency clause and there has been no work for 50 years. There is also a 1,900-acre wasteland nearby in Kanke, which the villagers suggest be used instead.
The protest against this land acquisition has been going on since April, when a group of women and Dayamani Barla sat on dharna. Their case was lost in the High Court, with the court failing to take cognizance of its own constitutional law whereby agricultural land, especially under the Fifth Schedule, and in Jharkhand as per the Chotta Nagpur Tenancy Act, should not be acquired for non-agricultural purposes. The Supreme Court too has dismissed the villager’s petition. The villagers are not allowed within one kilometre of the project land as Section 144 has been imposed. The construction site is manned by the Rapid Action Force (RAF) of Jharkhand police.
This is not an isolated case, but part of a larger series of intimidation tactics used by the State to silence peaceful, democratic protest by people asking for their rights and exercising their civil liberties. We demand that Dayamani Barla be released immediately, and there is a full review of this acquisition process, with due compensation to be given and process to be followed.
Aruna Roy, Nikhil Dey, Lal Singh, Bhanwar Meghwanshi, Narayan and Shankar Singh, (for the MKSS )
30th October 2012
Statement Condemning JADS Zila Badar | May 2012
Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) Village Devdungri,
Post Barar 313341, District Rajsamand, Rajasthan
Email: [email protected]
Statement Condemning the Zila badar Show Cause Notice on Madhuri Krishanswami, Jagrut Adivasi Dalit Sangathan
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan ( MKSS ) strongly condemns the show cause notice and initiation of proceedings of externment (zila badar) against Madhuri Krishanswami of Jagrut Adivasi Dalit Sangathan from six districts of Madhya Pradesh. This Sangathan has been campaigning for over 14 years for the realization of the constitutional and legal rights of adivasis in Barwani, Madhya Pradesh, one of the most backward districts of the country. They have spread awareness and put pressure on local public authorities, demanding proper implementation of MGNREGA and food schemes, proper health care, rights of gram sabhas, forest rights, and campaigned against the sale of illegal liquor etc. As a direct result of their efforts, between October to December 2006, adivasi NREGA workers in Barwani district were paid unemployment allowances, totaling Rs 4,75,386/ . This has been done through a series of democratic modes such as awareness campaigns, public meetings and peaceful agitations, such as dharnas. The consequent exposure of corruption by government functionaries has resulted in this severe backlash against the Sangathan and its member, Madhuri Krishanswami.
This externment orders have been issued under the Madhya Pradesh Security Act, 1990 which on paper, is intended to protect the rights of tribal groups against “antisocial elements and previous convicts”. In a perverse and arbitrary interpretation, this has been used against Ms. Madhuri Krishnaswami who has been working for over a decade to empower the tribals to organize to demand their legal and constitutional rights and transparency, accountability and delivery of essential services from state mechanisms.
Jagrut Adivasi Dalit Sangathan, in a statement issued today, demanded that the externment order be revoked immediately. They stressed that if externment orders were to be issued at all, they should be directed towards corrupt government officials and not to the community and its leaders. The MKSS strongly condemns the use of ‘externment orders’, which was a tool of repression used by the Colonial State as a means of subjugating the population and its leaders. This concept should be done away with from our legislations and administration.In any case, the show cause notice and externment proceedings against Madhuri Krishnaswami must be immediately withdrawn.
Such pressure tactics by the State, are anti constitutional, anti democratic, and are an obvious indication of vested interests misusing the law to exploit tribal communities and undermine their support structures. Not only is this an affront to democratic spaces for functioning and dissent, but it violates basic human rights. We demand that this is enquired into by the state and central governments, the human rights commission, and, the externment orders be revoked. The Sangathan must be allowed to operate within democratic constructs, and its efforts to secure the legal and constitutional rights of Dalits and Adivasis must be protected.
Aruna Roy, Nikhil Dey, Bhanwar Meghwanshi and Shankar Singh, (for the MKSS ) 25th May 2012
Statement Condemning Sukma Collector Kidnapping | April 2012
Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS) Village Devdungri,
Post Barar 313341, District Rajsamand, Rajasthan
Press Statement Condemning Kidnapping of Sukma Collector
The Mazdoor Kisan Shakti Sangathan strongly condemns the kidnapping of Mr. Alex Menon, the collector of Sukma region by Maoists on 21st April 2012. Such acts of aggression are unacceptable and seriously impede the democratic processes that are vital to the functioning of the government and State. It is all the more unfortunate that Mr. Menon was kidnapped while he was attending a Gram Suraj Abhiyaan, which is a state government-run programme meant to promote interaction between local administration and citizens. We also condemn the killing of his two personal security officers during the abduction. Mr. Menon is also asthmatic, and according to his wife has only two dosages with him. We demand that he be released immediately and unconditionally.
In this context, it is important to acknowledge that the basic issues need to be addressed for any lasting solution to the accelerating violence. The Maoists have continued to release charters of demands not only during abductions, but at other times. These demands include a halt in military operations by the State, a halt to fake encounters and judicial inquiries into the killings under past encounters, stopping indiscriminate arrests of villagers, compensation for destruction of crops and killing and looting of livestock, removal of security forces from the area, punishing police personnel responsible for destruction of villages and cancelling of all MoUs with private corporations in tribal areas. Despite the fact that many of these demands require serious consideration, there has been no review, no public debate and no initiative or assurances by the State with regard to the issues raised. Some have been reiterated by civil liberties groups, particularly the implementation of the Supreme Court orders in the Salwa Judum case.
Given the context of this ongoing aggression, the government has an obligation to initiate and pursue a dialogue with all concerned parties. Avenues for dialogue will have to be found to address the cause of the conflict. Dialogue will also reaffirm the wisdom of developmental solutions over military ones, and draw clarity on what mode of development the people of that area want. It is imperative therefore that genuine attempt by the State be made to engage in dialogue to address issues and prevent unacceptable acts of aggression.
Aruna Roy, Nikhil Dey, Bhanwar Meghwanshi and Shankar Singh
(for the MKSS collective)
22.04.12
Statement Condemning PUCL Police Raid | October 2011
The MKSS strongly condemns the illegitimate police raid on noted human rights activist and PUCL general secretary, Kavita Srivastava’s home. This raid was clearly meant to intimidate Kavita and pass a message to all human rights activists not to take up causes against the State. In any case, there was no cause to rough up her elderly father and aggressively intimidate domestic help.
The government needs to realize it is extremely short-sighted to intimidate people who may raise crucial though uncomfortable questions since human rights activists play a crucial role in ensuring that constitutional principles are adhered to in the country.
We demand that the police put all the information related to this search warrant in the public domain and issue an apology for their high-handed behaviour.
We demand that the government and police authorities ensure that such incidents aren’t repeated.
Signed/-
Aruna Roy, Nikhil Dey, Shankar Singh for the MKSS Collective
Dated: October 3, 2011